Balod-संपूर्ण जगत ही यज्ञमय है, जानिए राम बालक दास

Balod-संपूर्ण जगत ही यज्ञमय है, जानिए राम बालक दास

PIYUSH SAHU (BALOD)

छत्तीसगढ़ -बालोद
पीयूष साहू

संपूर्ण जगत ही यज्ञमय है - संत रामबालकदास
 यज्ञों से देवता संतुष्ट होते हैं। यज्ञ ही चराचर जगत् का प्रतिष्ठापक है। यज्ञ पृथ्वी को धारण किये हुये हैं यज्ञ ही प्रजा को पापों से बचाता है। अन्न से प्राणी जीवित रहते हैं वह अन्न बादलों द्वारा प्राप्त होता है और बादल की उत्पत्ति यज्ञ से होती है। यह संपूर्ण जगत् यज्ञमय है। 
       पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में संत रामबालकदास जी ने पाठक परदेशी की जिज्ञाशा पर यज्ञ के संबंध में बताया कि जिस कर्म विशेष में देवता, हवनीय द्रव्य, वेदमंत्र, ऋत्विक् एवं दक्षिणा इन पाॅच उपादानों का संयोग हो उसे यज्ञ कहा जाता है। परमार्थ प्रयोजनों के लिये किया गया सत्कर्म ही यज्ञ है। हमारे ऋषि मुनियों ने यज् धातु से निष्पन्न यज्ञ शब्द के तीन अर्थ देवपूजन, संगतिकरण और दान बताये हैं। इन तीनों सत्प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व यज्ञ के माध्यम से होता है। महाराज जी ने बताया कि यज्ञ के जरिये शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति, आत्म शुद्धि, आत्मबल वृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और आरोग्य की रक्षा होती है। यज्ञाग्नि की पाॅच विशेषताओं को पंचशील कहा गया है। पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञाशा पर कहा कि अग्नि द्वारा जलाये गये हविष्यान्न के सूक्ष्मांश गंध को भगवती स्वाहा ही देवताओं तक पहुॅचाती हैं इसलिये आहुति देते समय मंत्र के अंत में स्वाहा बोलना आवश्यक है अन्यथा वह हविष्यान्न देवताओं तक नहीं पहुॅचेगा और हवन निरर्थक हो जायेगा। जब ब्रह्मा जी ने मनुष्य को उत्पन्न किया तो उसने अपना सारा जीवन दुख, कष्ट और अभावों से घिरा देखा उसने विधाता से शिकायत की तब पितामह बोले यज्ञ द्वारा देवताओं को आहुतियाॅ प्रदान करना इससे संतुष्ट हुये देवता धन, संपत्ति, बल और ऐश्वर्य देंगे। यज्ञ की अग्नि में आहुति डालते समय देवताओं के आव्हान मंत्रोच्चारण करते समय अंत में स्वाहा कहा जाता है। चूॅकि अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा है इसलिये हविष्य अग्नि को भेंट करते समय स्वाहा बोलकर उनके माध्यम से भेंट करने का विधान है। स्वाहा का अर्थ सु - आह अच्छा बोलना भी है। बाबा जी ने बताया कि जिस तरह से श्री कृष्ण के आह्वान के पूर्व राधा जी का आह्वान किया जाता है भगवान विष्णु के पूर्व लक्ष्मी जी का आह्वान किया जाता है शिव भगवान के आह्वान के पूर्व माता पार्वती का आह्वान किया जाता है श्री राम जी के नाम के पूर्व माता सीता का आह्वान किया जाता है उसी प्रकार यज्ञ देवता की पत्नी है स्वाहा उनका आह्वान किया जाता है। एक और मुख्य कारण है हम स्वयं को अर्थात् स्व को यज्ञ के लिए पूर्णतया समर्पित कर रहे हैं यह स्वाहा शब्द का घोतक है।
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