सहकारी बैंक के अधीन ब्रांचों में कई बिल्डिंग अधूरी पड़ी है। इनमें जांजगीर, मुलमुला, बम्नीडीह और सरगांव का निर्माण अधूरा है। इन्हीं बिल्डिंगों के निर्माण को पूरा करने की चिट्ठियां नए सिरे से चल रही है। बैंक के सीईओ अनूप अग्रवाल ने सरकंडा के शाखा प्रबंधक बद्री कश्यप को लिखा है कि अधूरे भवनों में बैंक की पूंजी लगी है। और इनका काम आगे बढ़ाना है क्योंकि इन सारे जगहों पर किराए के भवन में शाखाएं संचालित हो रही हैं और बैंक को इससे किराए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि उन्होंने जल्द ही इन अधूरे भवनों को पूरा कराने को लेकर पत्राचार किया है। वर्ष 2014 में बैंक एक साल में भवन और मरम्मत पर अधिकतम 4.26 करोड़ रुपए ही खर्च कर सकता है। लेकिन बिलासपुर के बैंक ने 20 शाखाओं में भवन बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए के टेंडर जारी कर दिए। इसके लिए न संचालक मंडल से मंजूरी ली गई, न पंजीयक सहकारी संस्थाएं से। टेंडर भी इस तरह से जारी किए कि कुछ खास लोग ही इसके लिए आवेदन कर पाएं। ठेकेदारों को भी लाभ दिया गया। निर्माण और भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। तत्कालीन सीईओ ने इनमें ही पांच साल से विवाद और घोटाले में फंसी तीन बिल्डिंग का भुगतान कर दिया गया है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3pGkONo
https://ift.tt/3hxLhdb