@कोरबा//सीएनबी लाईव।।
वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम की परियोजना जलग्राम के अंतर्गत नाबार्ड के सहयोग से कृषि उन्नयन की दिशा में कोरबा कृषक उन्नयन प्रोडक्शन कंपनी लिमिटेड (केकेयूपीसीएल) की स्थापना की थी। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व स्थापित कंपनी से जुड़े किसानों ने खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाकर आज अपना टर्न ओव्हर लगभग 40 लाख के स्तर तक पहुंचा दिया है। किसानों को इस बात की उम्मीद है कि वे मार्च 2021 तक अपना टर्न ओव्हर लगभग 80 लाख रुपए के स्तर पर ले जाएंगे।
के.के.यू.पी.सी.एल. कोरबा के ग्राम बेला में स्थापित की गई है। इस कंपनी से 350 किसान जुड़े हैं। परियोजना से ग्राम दोंदरो, बेला, जामबहार और रुगबहरी के ऐसे किसानों को प्राथमिकता के आधार पर जोड़ा गया है जिनके पास न्यूनतम एक एकड़ कृषि भूमि है। के.के.यू.पी.सी.एल. से जुड़े सभी किसानों को कंपनी की अंशधारिता प्रदान की गई है। निदेशक मंडल का चुनाव किसानों ने सर्वसम्मति से किया है। मंडल का कार्यकाल दो वर्षों का होता है। कंपनी के वर्तमान अध्यक्ष ग्राम बेला के अमृत लाल हैं। इसका उद्देश्य किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों से जोड़ना, शासकीय योजनाओं की जानकारी देना तथा उसका लाभ लेने में सहयोग करना और कृषक संघ द्वारा उत्पादित फसलों को बाजार तक पहुंचाकर उन्हें उचित मूल्य दिलाने में मदद करना है।
के.के.यू.पी.सी.एल. ने किसानों को उच्च गुणवत्ता के खाद, बीज और दवाइयां उपलब्ध कराईं। किसानों ने अपनी सब्जियां और दूसरे अनाज-चावल, दाल, गेहूं आदि बालको की ‘उन्नति फ्रेश परियोजनाÓ के जरिए बालको टाउनशिप के नागरिकों तक पहुंचाईं। इसके अलावा सब्जी मंडी के जरिए फुटकर मार्केट तक अपना उत्पादन पहुंचाकर किसानों ने 40 लाख रुपए के आंकड़े को पाने में सफलता हासिल की।
के.के.यू.पी.सी.एल. ने किसानों को उच्च गुणवत्ता के खाद, बीज और दवाइयां उपलब्ध कराईं। किसानों ने अपनी सब्जियां और दूसरे अनाज-चावल, दाल, गेहूं आदि बालको की ‘उन्नति फ्रेश परियोजनाÓ के जरिए बालको टाउनशिप के नागरिकों तक पहुंचाईं। इसके अलावा सब्जी मंडी के जरिए फुटकर मार्केट तक अपना उत्पादन पहुंचाकर किसानों ने 40 लाख रुपए के आंकड़े को पाने में सफलता हासिल की।
बायोफ्लॉक पद्धति से मछली पालना सीख रहे किसान :
बालको-नाबार्ड स्थापित व्ही.ए.आर.सी. बिलासपुर संभाग का पहला ऐसा केंद्र है जहां किसानों को बायोफ्लॉक पद्धति से मछली पालन का प्रशिक्षण देने की सुविधा है। इस पद्धति में मछली पालन कम स्थान पर किया जा सकता है। कम खर्च और तालाब से 40 गुना कम स्थान पर तालाब जैसा उत्पादन लिया जा सकता है।
आधुनिक खेती से खिले किसानों के चेहरे :
परियोजना जलग्राम के क्रियान्वयन से पूर्व लक्षित क्षेत्र के किसान सिर्फ धान की फसल ले पाते थे। सिंचाई और खेती की अनेक आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता को देखते हुए आज ऐसे किसान वापस अपने गांव लौट चुके हैं जो कभी रोजी-रोटी के लिए पलायन कर चुके थे। बालको टाउनशिप के एक स्कूल से कक्षा 12वीं तक पढ़े कोमल भगत ग्राम बेला और आसपास के क्षेत्रों के लिए पहले ऐसे किसान हैं जिन्होंने वर्ष 2020 में तरबूज की बंपर पैदावार ली। मात्र डेढ़ एकड़ में उन्होंने 15 टन की उपज ली। बरबट्टी, करेला, बीन्स, करेला की फसलों से उन्हें लगभग दो लाख रुपए की आमदनी हुई। ग्राम बेला के पूर्व सरपंच फूल सिंह राठिया बताते हैं कि सब्जियों के उत्पादन में ड्रिप प्रणाली के प्रयोग से खरपतवार नहीं होते। पानी, खाद और दवाइयां कम लगती हैं। सब्जियों की सड़ने की प्रक्रिया धीमी होती है। ग्राम दोंदरो के किसान खुमान सिंह धान उगाने की आधुनिक तकनीक एस.आर.आई. में अब पारंगत हो चुके हैं।
सशक्तीकरण में मिल रही मदद:
वेदांता समूह की कंपनी बालको की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, आधारभूत संरचना विकास, महिला सशक्तिकरण, जैव-निवेश, आजीविका आदि क्षेत्रों में परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। परियोजनाओं के दायरे में छत्तीसगढ़ के लगभग 1.50 लाख जरूरतमंद शामिल हैं। 300 स्व सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 4000 महिलाओं के स्वावलंबन एवं सशक्तिकरण में मदद मिल रही है। लगभग 500 एकड़ भूमि पर किसान आधुनिक तकनीकों की मदद से खेती कर रहे हैं। वेदांता स्किल्स स्कूल ने छत्तीसगढ़ के लगभग 9000 जरूरतमंद युवाओं को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनने में मदद की है।
बालको सीईओ ने दी बधाई:
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने के.के.यू.पी.सी.एल. के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। उन्होंने किसानों की दूरदर्शिता और आत्मविश्वास की प्रशंसा करते हुए कहा है कि 40 लाख रुपए का टर्न ओव्हर बड़ी उपलब्धियों की ओर पहला कदम है। संगठित प्रयास से किसान कृषि क्षेत्र में निश्चित ही कोरबा और छत्तीसगढ़ राज्य को नई ऊंचाइयों पर स्थापित करेंगे।