डायबिटीज और हायपरटेंशन वालाें को 8 दिन बाद लक्षण इसलिए 60 फीसदी मौत...

डायबिटीज और हायपरटेंशन वालाें को 8 दिन बाद लक्षण इसलिए 60 फीसदी मौत...

Avinash

कोरोना से दो माह में रायपुर सहित पूरे प्रदेश में 1541 मौतें हुई हैं। इनमें 60 फीसदी यानी 895 कोरोना संक्रमण के पहले ही डायबिटीज और हायपरटेंशन से पीड़ित थे। इन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस वजह से संक्रमण होने के 8वें-9वें दिन उनमें कोरोना के लक्षण सामने आते हैं। एक-दो दिन मरीज सामान्य सर्दी जुकाम मानकर गुजार देते हैं। इतना लंबा अर्सा बीत जाने के दौरान कोरोना का संक्रमण गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है और अस्पताल ले जाने के बावजूद मरीज की मौत हो जाती है।

पिछले दो महीनों में कोरोना से मरने वालों की हिस्ट्री चेक करने के दौरान ये थ्योरी सामने आई है। उसके बाद विशेषज्ञों ने डायबिटीज व हायपरटेंशन वाले मरीजों को सावधान रहने की सलाह दी है। प्रदेश में अब तक 3,222 मरीजों की कोरोना से मौत हो चुकी है। पिछले दो माह में सबसे ज्यादा मौत डायबिटीज व हायपरटेंशन वाले मरीजों की हो रही है। कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान स्थिति देखकर स्टेरायड दी जाती है। इसके कारण भी मरीजों में शुगर लेवल बढ़ता है, जिससे वे कोरोना के इलाज के दौरान ही डायबिटीज के मरीज बन जा रहे हैं। यही नहीं कोरोना वायरस पेंक्रियाज को भी प्रभावित करता है, जिससे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण कोरोना से ठीक होने के बाद आधे से ज्यादा मरीज डायबिटीज से पीड़ित हो रहे हैं। अंबेडकर अस्पताल के पोस्ट कोविड ओपीडी में रोजाना ऐसे मरीज आ रहे हैं, जो कोरोना से पहले डायबिटीज के मरीज नहीं थे, लेकिन अब उन्हें दवा लेनी पड़ रही है। हायपरटेंशन वाले मरीजों का हार्ट प्रभावित रहता है। इस कारण भी कोरोना से पीड़ित होने के बाद मरीजों का रिस्क बढ़ जाता है।

सामान्य लोगों को पांचवें और शुगर वालों को 8वें दिन लक्षण
सामान्य लोगों को कोरोना संक्रमण के 5वें दिन ही सर्दी, खांसी व बुखार के लक्षण आने लगते हैं। जबकि डायबिटीज व हायपरटेंशन वाले मरीजों को 7 से 8वें दिन लक्षण आता है। दरअसल ऐसे मरीजों में राेग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वायरस से लड़ने में समय लगता है। इसलिए लक्षण भी देरी से आते हैं। तब तक उनके शरीर में वायरल लोड बढ़ जाता है। ऐसे में रिस्क फैक्टर भी बढ़ जाता है।

"डायबिटीज व हायपरटेंशन वाले लोगों में कोरोना के लक्षण 8वें दिन आते हैं। तब तक वायरल लोड बढ़ चुका होता है। ऐसे लोगों अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना होने पर रिस्क बढ़ जाता है। लक्षण दिखते ही तत्काल जांच कराएं।"
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी



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