अनुकंपा नियुक्ति के मामलाें में शिकायतों के बाद पुलिस महकमे में बड़ा बदलाव किया गया है। सरकारी ढर्रे की वजह से होने वाली देरी और गड़बडिय़ों की शिकायत दूर करने के लिए बाबू और डीजीपी के बीच की सभी कडिय़ों को हटा दिया गया है। अब बाबू सीधे डीजीपी को फाइल पेश करते हैं और तत्काल आदेश भी जारी किया जा रहा है। यही वजह है कि दो साल में 421 पुलिसकर्मियों के परिजन को नौकरी दी गई। इनमें 47 नक्सल हमले में शहीद पुलिसकर्मियों के परिजन और 374 अन्य मामले हैं। इससे पहले साल में औसत 100 पुलिसकर्मियों के परिजन को ही अनुकंपा नियुक्ति मिल पाती थी। दरअसल, पुलिस मुख्यालय में अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित सेक्शन से फाइलें क्लर्क से एआईजी या डीआईजी, फिर प्रशासन के एडीजी से होते हुए डीजीपी तक पहुंचती थी। डीजीपी डीएम अवस्थी के पास जब कुछ परिजन अनुकंपा नियुक्ति में देरी की शिकायतें लेकर पहुंचे तो उन्होंने देरी की वजह पूछी। ज्यादातर फाइलें बाबूगिरी के कारण अटक रही थीं और पात्र लोगों को नौकरी देने में काफी समय लग जाता था। इस वजह से उन्होंने बीच के अफसरों को फाइलें भेजने के बजाय अनुकंपा नियुक्ति के मामलों की फाइल अपने पास मंगानी शुरू की। इसके बाद तत्काल नियुक्ति आदेश भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
परिजन की देखभाल हमारी जिम्मेदारी
"नक्सल हमले या अन्य दुर्घटनाओं में यदि किसी पुलिसकर्मी की जान जाती है तो उनके परिजन की देखभाल भी हमारी जिम्मेदारी है। बेवजह परेशानी न हो, इसलिए ऐसी व्यवस्था बनाई गई है, जिससे हर पात्र को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति मिले।"
-डीएम अवस्थी, डीजीपी छत्तीसगढ़