अब सभी विभाग डिटेल के साथ राजभवन में भेजेंगे प्रस्ताव, ताकि बाद में न हो विवाद

अब सभी विभाग डिटेल के साथ राजभवन में भेजेंगे प्रस्ताव, ताकि बाद में न हो विवाद

Avinash

राज्यपाल अनुसूइया उइके की सक्रियता व सरकार के साथ उनकी मतभिन्नता यदा-कदा सामने आती रहती है। हाल ही में कृषि मंडी संशोधन विधेयक को लेकर विलंब की बात सामने आई थी, लेकिन राजभवन ने इसे नकार दिया था। यह पता चला था कि राजभवन फाइल ही देर से पहुंची थी। इस वजह से अब प्रशासन ने सभी विभागों से कह दिया है कि वे राज्यपाल को भेजे जाने वाले शासन से मिलने वाले अध्यादेश, विधेयक या महत्वपूर्ण संशोधनों संबंधी प्रस्तावों में संक्षेपिका व तुलनात्मक चार्ट के साथ ही नस्ती भेजें। जीएडी के सचिव डीडी सिंह ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाने वाले प्रकरणों में शासन के अध्यादेश, विधेयक अथवा महत्वपूर्ण संशोधन संबंधी प्रस्तावों में स्वयंपूर्ण संक्षेपिका एवं संशोधन के संबंध में तुलनात्मक चार्ट एवं औचित्य इत्यादि नस्ती के साथ प्रेषित नहीं किए जा रहे हैं। इस वजह से राजभवन सचिवालय को प्रकरणों की जांच के बाद राज्यपाल की सहमति के लिए प्रस्तुत करने में कठिनाई व अनावश्यक विलंब होता है। इसलिए राज्यपाल की सहमति के लिए भेजे जाने वाले अध्यादेश विधेयक या महत्वपूर्ण संशोधन संबंधी प्रस्तावों के साथ तुलनात्मक विवरण अनिवार्य रूप से भेजा जाए। सिंह ने इसका प्रारूप भी विभागों को भेजा है। उन्होंने कहा कि जीएडी इस आदेश का पालन सख्ती से किया जाए। फार्मेट में क्रमांक, धारा, पुराना विद्यमान प्रावधान जैसे कॉलम बने हैं।
अध्यादेश-विधेयक द्वारा प्रावधान में प्रस्तावित संशोधन और औचित्य जैसे कॉलम बने हैं। मालूम हो कि राज्यपाल ने अक्टूबर में विधानसभा दो दिनी विशेष सत्र की फाइल भी मंजूरी के बगैर लौटा दी थी। इसकी वजह यह थी कि प्रस्ताव में एजेंडे यानी सत्र क्यों बुलाया जा रहा है, इसका उल्लेख ही नहीं था।

मंत्रियों-अफसरों को बुला लेती हैं राजभवन
राज्यपाल उइके शासन से मिलने वाली फाइलों पर विधि विशेषज्ञों की राय जरूर लेती हैं। शिकायतों को लेकर भी अफसरों को तलब कर बैठकें भी ले लेती हैं। हालांकि वे सरकार से मतभेद से इनकार करती हैं और कहती हैं कि ये तो मेरी ही सरकार है। यही वजह है कि वे मंत्रियों को भी राजभवन बुला चुकी हैं। हालांकि एक-दो बार ऐसी स्थिति भी बनी है, जिससे सरकार और राजभवन के बीच तकरार के रूप में देखा गया। बाद में इसमें यह स्पष्ट किया गया कि अधूरी जानकारी के कारण नए सिरे से प्रस्ताव मांगा गया है।



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