राजधानी में लगातार दो साल से जमीन की कीमत नहीं बढ़ाई गई, पिछले साल यानी 2019-20 में सरकारी कीमत में 30 फीसदी की कमी की गई थी। कोरोना की वजह से इस साल भी पंजीयन दफ्तर के आला अफसरों ने तय कर लिया कि शहर के 70 वार्डों में एक साथ जमीन की कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी। केवल उन्हीं चुनिंदा वार्डों में जमीन की कीमत बढ़ाई जाएगी जहां पर जमीन या मकानों की खरीदी-बिक्री ज्यादा की गई है।
जिले के सभी तहसीलदारों से कहा गया है कि वे आरआई और पटवारियों से ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर वहां की रिपोर्ट बनवाएं। इसी रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि ऐसे क्षेत्रों की जमीन की कीमत कितने फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है। पंजीयन विभाग ने सभी जिला पंजीयकों के लिए कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर नया सर्कुलर जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि वास्तविक आंकड़ों के आधार पर ही जमीन की कीमतों का आंकलन किया जाए। सभी अफसर फील्ड में जाकर उसकी जांच करें। फरवरी तक यह रिपोर्ट तैयार की जाएगी और मार्च में जिला मूल्यांकन समिति को सौंप दी जाएगी। कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी जिला मूल्यांकन समिति इस रिपोर्ट को राज्य मूल्यांकन समिति के पास भेजेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम और फाइनल कलेक्टर गाइडलाइन 1 अप्रैल 2021 से लागू हो जाएगी।
एक्सप्रेस-वे का काम पूरा नहीं इसलिए इन वार्डों पर प्रभाव नहीं
पिछले साल तहसील की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया था कि एक्सप्रेस वे करीब एक दर्जन वार्डों से होकर गुजरी है। नए फ्लाइओवर और सड़कों की वजह से इन वार्डों की कनेक्टिविटि बढ़ी है। ऐसे में इन जगहों पर जमीन की खरीदी-बिक्री तेज हो सकती है। इसलिए इन वार्डों में जमीन की सरकारी कीमत बढ़नी चाहिए। लेकिन ऐन समय में एक्सप्रेस वे की जांच शुरू हो गई और नई सड़क शुरू ही नहीं हो पाई। इस वजह से इससे जुड़े करीब एक दर्जन वार्डों में भी जमीन की कीमत नहीं बढ़ाई गई। इस साल अभी तक एक्सप्रेस-वे का काम पूरा नहीं हो सका है। इसलिए यह माना जा रहा है कि 2021 में भी इन वार्डों में जमीन की कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी।
आउटर में बनी नई कालोनियों पर असर
शहरी इलाकों के मुकाबले में पिछले दो साल में आउटर में नई कॉलोनियां सबसे ज्यादा बनी हैं। कमल विहार और स्वागत विहार के आसपास के क्षेत्र, बोरियाखुर्द, बोरियाकला, रायपुरा, महादेव घाट के पास, सड्डू, विधानसभा रोड, जीरो प्वाइंट, दोंदे, सेजबहार रोड समेत आउटर के कई जगहों पर ऐसी कॉलोनियां ज्यादा बनी है। शहर से थोड़ी दूर होने की वजह से इन इलाकों में जमीन की कीमत भी कम है। इसलिए लोगों ने यहां निवेश भी किया है। कोरोना में अभी सबसे ज्यादा मकान इन्हीं कॉलोनियों में ज्यादा बिके हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इस साल की कलेक्टर गाइडलाइन में ऐसी जगहों की कीमत बढ़ सकती है। हालांकि छत्तीसगढ़ क्रेडाई पहले ही आउटर में जमीन की कीमतें बढ़ाने का विरोध कर चुका है। बिल्डरों का कहना है कि आउटर की जमीन के बाजार की कीमत की तुलना में सरकारी कीमत ज्यादा है। इसलिए इस अंतर को खत्म करने के लिए इस साल भी जमीन की कीमतें नहीं बढ़ानी चाहिए।
सभी वार्डों में वृद्धि नहीं
"नई कलेक्टर गाइडलाइन तैयार करने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया गया है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही नई कीमतें तय की जाएंगी। कोरोना और दूसरे कारणों की वजह से राजधानी में सभी जगहों में कीमतें नहीं बढ़ाई जाएंगी।"
-धर्मेश साहू, महानिरीक्षक पंजीयन विभाग
इस साल भी वृद्धि न हो
"नई सरकार ने जमीन की सरकारी कीमत में 30 फीसदी की कमी की थी, इसका सभी लोगों को बड़ा फायदा हुआ है। कोरोना की वजह से इस साल भी कीमतें स्थिर रखना चाहिए। इससे बाजार की स्थिति और सामान्य होगी।"
-रवि फतनानी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ क्रेडाई
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