सरगुजा समाचार >>> लीच त्वचा रोगों व गंजेपन जैसी बीमारियों के उपचार का बेहतर विकल्प है... जलौकाचारण( मेडिसिनल लीच थेरेपी)....

सरगुजा समाचार >>> लीच त्वचा रोगों व गंजेपन जैसी बीमारियों के उपचार का बेहतर विकल्प है... जलौकाचारण( मेडिसिनल लीच थेरेपी)....



|ब्यूरो•सूरजपुर|✍️शशी रंजन सिंह|
भारत में प्राचीन काल से ही जलौका चारण लीच थेरेपी किया जाता रहा है जिसका वर्णन आयुर्वेद के सुश्रुत संहिता में महर्षि सुश्रुत ने बेहद विस्तार से वर्णन किया है महर्षि सुश्रुत के अनुसार जलौका चारण leech थेरेपी का इस्तेमाल  पित्त दोष की दुष्टि में किया जाता है सरल भाषा में समझाइ तो जोक थेरेपी का उपयोग कर दूषित रक्त को शरीर से दूर करने  की विधि है इस विधि से शरीर में स्थित खराब व दूषित रक्त को जोक से  खून चूसवा कर बाहर निकाला जाता है जिसे आयुर्वेद में रक्तमोक्षण ब्लड लेटिंग थेरेपी कहते हैं!

जोक एक ऐसा जलीय जीव है जिससे आम लोग दूर ही रहना पसंद करते हैं क्योंकि यह शरीर के संपर्क में आने पर तुरंत खून चूसना शुरू कर देता है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की बड़े-बड़े महानगरों में लोग कई बीमारियों के उपचार हेतु खुद वो खुद अस्पताल जाते हैं लीच थेरेपी कराने ताकि उनका बेहतर उपचार हो सके!

इन बीमारियों में होता है विशेष रूप से  leech therapy:-

रक्त प्रदोषज  जितने भी  रोग हैं जैसे कील मुंहासे acne , विचर्चिका एग्जिमा, सोरायसिस ,हरपीज जोस्टर एलोपेसिया गंजापन बालों का झड़ना ,डायबिटीज  foot वेरीकोज वेन  ,infected wound, gangrene ,deep vein thrombosis  शोथ swelling,  वात रक्त आदि व्याधियों में लीच थेरेपी के जरिए बेहतर उपचार किया  जाता है!

जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय गंगापुर अंबिकापुर में पदस्थ आयुर्वेद सर्जन डॉक्टर संतोष सिंह एमएस आयुर्वेदा का कहना है- कि जिस प्रकार कायचिकित्सा में पंचकर्म के अंतर्गत बस्ति कर्म चिकित्सा को संपूर्ण चिकित्सा माना गया है उसी प्रकार शल्य तंत्र विभाग में सुश्रुत ने रक्तमोक्षण को संपूर्ण चिकित्सा कहा है क्योंकि सुश्रुत ने त्रिदोष वात पित्त कफ के अतिरिक्त रक्त को चौथा दोष माना है इसीलिए जोक के माध्यम से रक्तमोक्षण ब्लडलेटिंग कर दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकाला  जाता है जोक लगाने का मुख्य कारण यह भी है  जोक के लार में मौजूद हीरूडीन के अतिरिक्त में 20 प्रकार के बायो एक्टिव सब्सटेंस मौजूद रहते हैं जैसे Anti-stasin,englin,bdellins,Saratin,carboxy peptidase inhibitors जो शरीर में पेस्टिसाइड छोड़ती है जो गैंग्रीन से ग्रसित अंगों में भी ब्लड सरकुलेशन शुरू करा देती है यही नहीं इन रसायनों की वजह से ही भाव भी बहुत तेजी से भरता है!

जोक थेरेपी शुरू करने के लिए जो भी रोगी चिन्ह अंकित हैं उनका सबसे पहले ब्लड टेस्टिंग कराने की  सलाह दिया जाता है  जैसे हिमोग्लोबिन ,BT,CT,blood sugar एचआईवी HBsAg उपरोक्त ब्लड टेस्ट कराने के उपरांत यदि  टेस्ट नॉर्मल है  तो ही लीच थेरेपी के लिए प्राथमिकता दी जाती है जोक को रोग प्रभावित  अंगों पर 15 मिनट से आधे घंटे तक खून का चूषण कराया जाता है इसके पश्चात हल्दी से जोक को छुड़ाकर उसके द्वारा पिए गए रक्त  को जोक ऊपर हरिद्रा पाउडर डालकर वमन कराया जाता है इसके पश्चात उसे एक पृथक जार में पानी डालकर रख दिया था  जार के ऊपर मरीज का नाम एवं दिनांक अंकित किया जाता है इसके 1 सप्ताह बाद ही उक्त  जोक को दोबारा उसी मरीज पर उपयोग किया जाता है जोक निकालने के पश्चात पट्टी बांध दिया जाता है उक्त जोक को किसी दूसरे मरीज में उपयोग नहीं किया जाता यदि किया भी जाता है तो उसे 120 दिन रखने के बाद ही किया जाता है क्योंकि आरबीसी का जीवन चक्र 120 दिन का होता है इन सभी बातों का बहुत ही गंभीरता से पालन किया जाता है. जिससे क्रॉस इनफेक्शन के खतरे से बचा जा सके!

जलौका चारण  leech therapy कराने हेतु 18 वर्ष से ऊपर के लोगों में  जो अपनी सहमति प्रदान कर सकें उनमें किया जाता है बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में जोक थेरेपी नहीं किया जाता है!

जोक थेरेपी की लोकप्रियता का कारण:-

मधुमेह डायबिटीज मरीजों के लिए सर्जरी शल्य क्रिया बहुत ही खतरनाक मानी जाती है क्योंकि मधुमेह के रोगियों में सामान्य के मुकाबले घाव नहीं भर पाता इसीलिए कई बीमारियों की खतरे की आशंका बन जाती है कभी-कभी तो अंगों को काटकर अलग करना पड़ जाता है एंप्यूटेशन की स्थिति निर्मित हो जाती है ऐसी स्थिति में  leech therapy इन मुश्किलों से निजात दिलाती है  leech therapy बहुत ही सस्ती cheap प्रभावी Effective  और आसानी से लगाया जा सकता है उपरोक्त लेख को पढ़ने वालों से आशा है!

हमारे क्षेत्र में कई ऐसे मरीज है जो उपरोक्त व्याधियों से ग्रसित है कुछ की आर्थिक स्थिति सही है और कुछ की आर्थिक स्थिति सही होने के बावजूद भी बीमारी से निजात नहीं पा रहे हैं ऐसे लोगों के लिए  जलौका चारण आयुर्वेद की महत्वपूर्ण  विधा  रक्तमोक्षण leech therapy एक वरदान साबित होगी, उक्त सेवा सूरजपुर जिला के प्रतापपुर विकास खंड के अंतर्गत health and Wellness Centre सोनगरा सोनगरा में सप्ताह में दो दिवस बुधवार एवं शनिवार को डॉ संतोष सिंह द्वारा सेवा दिया जा रहा है!!!
To Top