@सायरी
हमे याद कर कोई. अपने दोनो हांथों पर मेहंदी लगवाए . ऎसा हो सकता है क्या...?
पानी का एक बूंद. भोजन का एक निवाला लिए बिना . ओ भी हमारी खातिर. कोई भूखा रह सकता है क्या...?
घी के दीए जलाए . आरती की थाली लिए ओ भी हमारी खातिर. चांद से पहले. छन्नी में हमे देखने की आरज़ू किसी की हो सकती है क्या..?
और दिन भर के उपवास को. तोड़ने के लिए. पानी का पहला घूंट, भोजन का पहला निवाला. ओ भी हमारे हाथों से कोई खाएगा क्या..?