CG :- बलरामपुर में अधिकारी दिखावे मात्र, शिकायत का अभी तक नहीं हो पाया निराकरण, अधिकारियों का ऐसा क्या कारण है जो निराकरण नहीं कर पाएं?...!!!

CG :- बलरामपुर में अधिकारी दिखावे मात्र, शिकायत का अभी तक नहीं हो पाया निराकरण, अधिकारियों का ऐसा क्या कारण है जो निराकरण नहीं कर पाएं?...!!!

PIYUSH SAHU (BALOD)
कमल साहू की रिपोर्ट //बलरामपुर से...

प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ शिकायतों को लिस्ट लंबी, लेकिन जुगाड उपर तक..? कार्यवाही को क्यों फूल रहे अधिकारियों के हांथ.?


बलरामपुर जिले के गैना स्कूल में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य श्याम किशोर जायसवाल का नाता अक्सर विवादों से जुड़ा रहता है और उसकी शिकायत भी होती है लेकिन इसे उपर के अधिकारियों तक पहुंच कहें या प्रभारी प्राचार्य का रसूख क्योंकि प्रभारी प्राचार्य की शिकायत मुख्यमंत्री से जन चौपाल के माध्यम से भी की जा चुकी है लेकिन अभी भी मामले को लीपापोती अंदाज में लिया जा रहा है, अधिकारियों के करीबी होने का अंदेशा जताया जा सकता है या फिर श्याम किशोर जायसवाल को बचाने के लिए अधिकारी अपनी नौकरी तक को ताक पर रखने पर तैयार हैं क्योंकि एक व्यक्ति जिसके खिलाफ इतने बड़े स्तर पर शिकायत होने का अर्थ है की वह दोषी है जबकि आवेदक के द्वारा साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं बाबजूद इसके जिला शिक्षा अधिकारी को प्रभारी प्राचार्य पर कार्यवाही करने में परेशानी हो रही है। आवेदक और साक्ष्यों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी महिलांगे प्रभारी प्राचार्य के विरुद्ध साक्ष्य होने के बाद भी कार्यवाही ना कर अपने पद की गरिमा का दुरुपयोग कर रहे हैं,ऐसे में जब जिला शिक्षा अधिकारी ही अपने पद का मान ना रख पा रहे हों तो एक प्रभारी प्राचार्य क्या रखेगा..? यह शिक्षा विभाग पर एक सवालिया निशान है। 

एबीईओ द्वारा जांच के बाद शिकायतकर्ता को नही कराया गया अवगत

मुख्यमंत्री से जब प्रभारी प्राचार्य की शिकायत की गई तो जिला शिक्षा अधिकारी महिलांगे ने मनीष कुमार को जांच अधिकारी बनाया था लेकिन आवेदक को जांच खत्म होने के बाद मामले का विवरण ना तो मनीष कुमार ने दिया और ना ही महिलांगे ने देना जरूरी समझा अब ऐसे में जब आवेदक को जांच में संदेह है और जांच रिपोर्ट छुपाया जा रहा है तो यह कहना गलत नही होगा की मनीष कुमार और जिला शिक्षा अधिकारी के जुगलबंदी से किसी प्रकार की लेने देने के बाद इस मामले को छुपाया और दबाया जा रहा है..? यदि महिलांगे और मनीष कुमार ने किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रभारी प्राचार्य से स्वीकार नहीं किया है तो कार्यवाही क्यों नही की जा रही है..?
खैर संभावनाओं का कोई अंत नहीं होता लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी और एबीईओ के हरकतों से ये सारी संभावनाएं जताई जा रही है,अब देखने वाली बात होगी की जिला शिक्षा अधिकारी अपने पद की गरिमा का मान रखते हुए निष्पक्ष जांच एवं मामले पर निष्पक्ष कार्यवाही करते हैं या अपने पुराने अंदाज में लीपापोती करते हैं..?
To Top