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यज्ञाचार्य एवं पण्डित दानेश्वर मिश्रा पोंडी वाले के अनुसार रक्षा बंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार 11 और 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है। 11 अगस्त को रक्षाबंधन दिखाया जा रहा है लेकिन 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा होने से राखी किस दिन मनाई जाएगी इसको लेकर लोग उलझन में हैं। पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन की शुभ मुहूर्त सावन पूर्णिमा आरंभ 11 अगस्त 10 बजकर 38 मिनट
सावन पूर्णिमा समाप्त 12 अगस्त 7 बजकर 6 मिनट
राखीा पर भद्रा आरंभ 11 अगस्त 10 बजकर 38 मिनट
राखी पर भद्रा समाप्त 11 अगस्त रात 8 बजकर 35 मिनट
मिनट तक अर्थात आप सुबह भाई के कलाई में राखी बांध लें।
दरअसल इस बर्ष रक्षाबंधन की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है क्योंकि रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिम के दिन मनाने की परंपरा है और इस बार श्रावन यानी सावन पूर्णिमा दो दिन है। इनमें पहले दिन भद्रा भी लगा है जिसमें राखी का त्योहार मनाना अशुभ माना जाता। ऐसे में ज्योतिष मत के अनुसार हिंदू धर्म में रक्षा बंधन के त्योहार को भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। अबकी बार रक्षा बंधन के दिन रवि नामक योग भी पड़ रहा है, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। रवि योग को ज्योतिषशास्त्र में अशुभ योगों के प्रभावों को नष्ट करने वाला बताया गया हैा। इस योग में राखी बांधने से रिश्ता को बुरी नजर नहीं लगेगी और रिश्ता और भी गहरा और मजबूत बनेगया। रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही रही है। राखी के त्योहार में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है क्योंकि भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
राखी बंधवाते समय भाइयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र होना चाहिए।
बहन भाई की दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाएं।
तिलक लगाने के बाद अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत के छींटें भी दें।
इसके बाद दीपक से आरती उतारकर बहन और भाई एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
भाई वस्त्र, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।
रक्षा बंधन राखी बांधने का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
चंदन लगाने का मंत्र
ओम चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्। आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा ॥
रक्षा बंधन सिंदूर, रोली लगाने का मंत्र
“सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्। आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥