@छत्तीसगढ़
जब हमन जाने सुने के लईक होएन , अपन आंखी ले देखत हन , कईसे बड़ चालाकी ले बाहिर के मनखे मन हमर छत्तीसगढ़ के आरुग मूल भाखा - संस्कृति , तीज तिहार , खान - पान , पहिनावा - ओढ़ावा ल धीरे धीरे भीतरे भीतर घुना कस कीरा करोवत हें।
बाहिर ले छत्तीसगढ़ में आके खूसरे हर परदेसिया ल ये गणित मालूम है कि छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति ल बरबाद कर दव , छत्तीसगढ़िया अपने आप समाप्त हो जही । अब तो हद पार होवत है जब हमर हजारों बछर जुन्ना मूल इतिहास ल घला एमन टोरे - भांजे ले धर लीन , एमन हमर देवता धामी हमर पेन- पुरखा मन के मूल स्वरूप ल बदले के हिमाकत में उतर गीन |
धमतरी के बिलईमाता कब ले विंध्यवासिनी होगे , डोंगरगढ़ के बमलाई दाई कब ले बमलेश्वरी होगे , चंदरपुर के चंदरसेनी माई कब ले चंद्रहासिनी होगे , रईपुर के तेलिनदाई बांधा कब ले मरीन ड्राईव होगे । हमर पुरखा गोंड़राजा रायसिंह जगत के आठ सौ बछर पहिली के खनवाय बुढ़ादेव तरिया परदेसिया सत्ता के गलियारा के भीतरे भीतर कब विवेकानंद सरोवर कहागे हम गम नई पाएन ।
हमर पुरातन धर्मस्थल बुढ़ादेव तरिया परिसर ल परदेसियावादी निजाम मन मीना बजार बनाए बर ठेका दे दीस गांव - गांव , शहर - कस्बा के पुरखौती सीतला तरिया , ठाकुरदिया तरिया , बंधवा तरिया , कन्हार तरिया , छुईहा तरिया, दर्री तरिया मन के नाव , संस्कार अऊ मूल संरचना ल बलद के कहुं छठ तालाब , गुरुनानक सरोवर त कहुं सूर्यकुंड बना दिये जात है , हमर महानदी , खारुन , अरपा के पुरखौती घाट मन ल अचानक परदेसिया तिहार के नाव में विश्व के सबसे बड़े छठ घाट घोषित कर दिये जात है ।
पखांजुर , परलकोट , केशकाल , कोरबा , रयगढ़ , दुरुग भेलई जईसे अनेक अईसे क्षेत्र हे जिंहा आज छतीसगढ़िया मन अल्पसंख्यक होके परदेसिया मन के तमाम फरजीवाड़ा , अपराध अउ दहशतगर्दी ल साहत अऊ भोगत परे है ।
आन प्रदेश सहित आन देस ले मारे - कूटे रीबी - रीबी करत आए शरणार्थी मन ल दया मरके शरण देना तो आज हमरे जीव के काल होगे ।
छत्तीसगढ़ के स्कूल मन म राजभाषा छत्तीसगढ़ी अऊ हमर मूल गुरतुर भाखा हल्बी , गोंडी, कुडुक, भतरी मन ल छोड़के बंगला , ओड़िया , गुजराती पढाय के तुगलकी फरमान जारी होवत है ।
पंथी सुवा मांदरी करमा राउत नृत्य ल दोयम दरजा बताके गरबा डांडिया अऊ भांगड़ा ल हमर उपर थोपे जात हे । छत्तीसगढ़िया किसान मन के दिये दान के हजारों एकड़ भूईया अऊ करोड़ों अरबों रुपिया संपत्ति वाला बड़का - बड़का मठ - मंदिर - देवाला के ट्रस्ट कमेटी मन म देखते - देखत झार परदेसिया सेठवा मन कुंडली मार के बईठ गीन छत्तीसगढ़िया पुजेरी मन ल मंदिर के गर्भगृह ले हकाल बाहिर करके उंहा उत्तर भारत के आपराधिक पृष्ठभूमि वाले पंडा - पुजेरी मन ल षड़यंत्रपूर्वक काबिज करा दीन ।
आज छत्तीसगढ़ महतारी के हर अंग म पीरा हे। छत्तीसगढ़ के चउक - चौराहा म परदेसिया मन के अंड - बंड़ मूर्ति मन मेछा टेंवत ठाढ़े है , जिंकर मन के छत्तीसगढ़ के भूईया बर न कोनो योगदान हे न दूरिहा तक कोनो नाता है ।
जब छत्तीसगढ़िया मन अपन महान पुरखा , देवता धामी , शहीद मन के मूर्ति ल चंऊक - चौराहा म स्थापित करथे त छतीसगढ़िया स्वाभिमान अऊ अस्मिता ल कूचरे खातिर परदेसिया मन प्रशासन ले मिलीभगत करके हमर पुरखा मन के , छत्तीसगढ़ महतारी के मूर्ति तक ल टोरवा के फेंकवा देथे सरईपाली बसना म शहीद वीरनारायण सिंह के मूर्ति फोर के कचरा गाड़ी म जोर के फेंके रहीस त कोरबा म अभी - अभी छत्तीसगढ़ महतारी के स्थापित मूर्ति ल टोर के फेंकवा दिये गीस ।
रईपुर म डॉ खूबचंद बघेल के मूर्ति म गोबर फेंकीन परमपूज्य गुरुबबा घासीदास के चित्र ल शौचालय म चिटकाईन । छत्तीसगढ़ म जगा जगा हमर श्रद्धा के पावन चिन्हा जईतखाम के अपमान करे के हिमाकत ये बहिरहा परदेसिया मन करे है ।
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना इंकर हर हिमाकत के जबर मुंहतोड़ ईलाज करत आवत है । छत्तीसगढ़िया हो सावचेत हो जाओ , आज अपने राज में छत्तीसगढ़िया कौम ल अपने घर के पता ठिकाना परदेसिया मन ले पूछे ले परत है । एक दिन अपनेच भूईया म सांस लेहे खातिर हमन ल ये बहिरहा मन ले परमिसन लिखवाय ले परही ।
हमर उपर राज करे बर हमरे छत्तीसगढ़िया संस्कृति ल धीमा जहर देके मारे के लगातार कोशिश इन परदेसिया मन करत है । टंगिया के बेंठ बहुत झन छतीसगढ़िया जनप्रतिनिधि मन परप्रांतीय वोट बैंक साधे के भोरहा म एमन ल बढ़ावा देवत आवत है । इंकर भविष्य के छत्तीसगढ़िया भूईया हड़पनीति ' ल अनदेखा करके एमन ल राजनैतिक , आर्थिक , प्राशासनिक संरक्षण देवत है । अपनेच छत्तीसगढ़ महतारी ले गद्दारी करत है ।
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना छत्तीसगढ़ महतारी अऊ छत्तीसगढ़ के जम्मो पुरखा देवता मन के लगातार होवत अपमान अऊ दुर्दशा ल न पहिली सहे हे न अब सहन करय |
आठ सौ साल पहिली रईपुर शहर ल बसाने वाला हमर पुरखा *राजा रायसिंह जगत के कुल देवता बुढ़ादेव* आय हमर छत्तीसगढ़ के जन - जन के पुरखा देवता हमर मूल देवता हमर कुल देवता बुढ़ादेव ठाकुरदेव के सर्वोच्च मान - गउन करत हमर आदि संस्कृति के विधि - विधान के साथ बुढ़ादेव के मूल स्थान बुढ़ादेव तरिया रईपुर म पुनर्स्थापित करे खातिर आयोजित छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के बुढ़ादेव यात्रा ' म जम्मो छत्तीसगढ़िया भाई - बहिनी मन अपन तन - मन - धन लगा के लाखों के संख्या में सकलाओ ।
छत्तीसगढ़ के दसों दिशा ले निकलत सजे - धजे रथ मन म अपन अपन देवगुड़ी , मातादेवाला , देवस्थान मन के एक मुठा माटी ल समर्पित करव । भव्य शोभायात्रा के साथ प्रदेश भर ले लाने इही पावन माटी ले हमर पुरखा देवता चौरा के सिरजन होही ।
आप सबके सहयोग ले छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति रूपी अतेक विशाल चौरा म हमर मूल देवता स्थापित होहीं कि छत्तीसगढ़ में अवैध अतिक्रमण , सांस्कृतिक प्रदूषण बगरावत अऊ बेजा कब्जा करत दिखत परदेसिया संस्कृति हमर बुढ़ादेव तरिया के ही अथाह गहिरी म बूड़ के आपे आप सिरा जही ।
छत्तीसगढ़ में हमेशा बर सबले उंचा ठउर में सिर्फ अऊ सिर्फ हमर आपके मूल छत्तीसगढ़िया संस्कृति ल बिराजित कराय के बड़का मुहिम म छत्तीसगढ़ महतारी आप ले नानकिन आहुति मांगत हे | बताव दिहव न ??
कार्यक्रम के जोखा दिन-18अप्रैल 2022(माईआयोजन)
बेरा-बिहनिया10 बजे ले
ठऊर-बुढ़ादेव तरिया पार,रईपुर (छत्तीसगढ़)
'किरिया खाथन जम्मो मितान,
हमर गढ़ म हमर भगवान'
पुरखा देवता के सम्मान म
क्रान्ति सेना मैदान म '
हमर माटी के हमर देवता,
कुलदेवता हमर मूलदेवता '
पुरखादेव के गुनगान करव,
नवा - नवा देवता झन गढ़व '