@गुरुर//अविनाश यादव।।
बीते दिनों दिनांक 18/09/2021 दिन शनिवार को साहित्य सदन कोलीहमार गुरूर में मासिक काव्य गोष्ठी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहेब दीनेंद्र दास जी विशेष अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार मोहन प्रसाद चतुर्वेदी जी, टी आर महमल्ला जी,अध्यक्ष डी आर गजेंद्र द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
सचिव भरत बुलंदी के सशक्त संचालन में ऋद्धी सिद्धी बुद्धि दाता,सब सुख के बिधाता श्री गणराज को प्रणाम करता हूं मैं।का सस्वर गायन के साथ प्रारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि द्वारा भगवान गणेश व शिव जी के परिवारिक विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा भी जीवन भगवान गणेश व शिव जैसे होना चाहिए। गणेश जी का व्यावहारिक व्याख्या किया गया।
नारी सशक्तीकरण पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित कवियों को काव्यपाठ के लिए क्रमशः आमंत्रित किया गया।पी एल माली द्वारा कोरोना को दुत्कारते हुए कहा हत ये रोगहा क़रोना,तोर पर जातीस रोना। पढ़कर सबका दिल जीत लिया।वीरेंद्र कंसारी ने अनाथ, बच्चो के प्रति सहानुभूति प्रगट करती रचना का पाठ किया। एस आर तेजस्वी जी ने धन की सार्थकता व उपार्जन पर सामाजिक चेतना लाने का आव्हान किया।
जो आज के परिवेश में आवश्यक भी है। डॉक्टर एच डी हर्ष ने मां पर संवेदन शील रचना पढ़ कर सबको भावुक कर दिया। तथा मुट्ठी भर रोशनी नामक ग़ज़ल से खूब वाहवाही बटोरी।वरिष्ठ साहित्यकार भगवताचार्य मोहन प्रसाद चतुर्वेदी जी ने अपने अंदाज में पुरानी रचना देख तो गणेश जी तोरे च खेल।मंहगाई के रात दिन बाजत हे बेल। पढ़कर खूब हंसाया।
वहीं सनौद से पधारे जी के साहू ने व्यंग्य रचना आजकल चर्चे कुछ आम हो गए। कुछ खाए पीए बिना ही बदनाम हो गए।पढ़ कर खूब गुदगुदाया।इसी क्रम में अध्यक्ष डी आर गजेंद्र द्वारा हिंदी दिवस अपनों से अपनी बात देखो भाषा की चोरी हो रही है। अंग्रेजी के साथ मुहजोरी हो रही है। व्यंग्य रचना पढ़कर रखा।आखरी कड़ी के रूप में संरक्षक वरिष्ठ साहित्यकार टी आर महमल्ला जी ने श्रृंगारिक गीत सुकवा के चंदैनी उगे ,रतिहा ले बिहनिया होगे,बिलमे कहां तंय रातरानी,महारानी वो,इंहा मोर करेजा चुरगे। गाकर सबका दिल जीत लिया।
इस तरह भक्ति, शक्ति से सराबोर रचना पढ़कर काव्य गोष्ठी को उंचाई पर ले जाकर सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त कर सभा समाप्ति की घोषणा रचना साहित्य समिति के अध्यक्ष डी आर गजेंद्र ने की।