@ बालोद
संत श्री राम बालक दास के द्वारा प्रतिदिन ही उनके विभिन्न ग्रुप में ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं।
आज के सत्संग परिचर्चा में किरण पांडे रायपुर ने जिज्ञासा रखी की हाथ मे कलावा बाधने का क्या महत्व है बताने की कृपा करें, बाबा जी ने बताया कि जब माता लक्ष्मी ने नारायण जी को बलि से छुड़वाने हेतु उनके हाथ में कलावा बांधा तभी से यह परंपरा प्रारंभ हुई जब उन्होंने कलावा बांधा, बलि को माता लक्ष्मी प्राप्त हुई और माता लक्ष्मी को उनके पति नारायण प्राप्त हुए उसी प्रकार जब पुरुष दाहिने हाथ के और महिलाएं बाएं हाथ की कलाई पर यह कलावा बांधते है तो वह बहुत ही शुभ सूचक होता है यह हमारे स्वास्थ्य में वृद्धि करता है, विभिन्न रोग व्याधि से मुक्त रखता है यह रक्षा सूत्र है और इससे हमें नारायण और लक्ष्मी दोनों की प्राप्ति होती है
परिचर्चा में जिज्ञासा आई की
संत उदय संतत सुखकारी।बिस्व सुखद जिमि इंदु तमारी।।परम धर्म श्रुति बिदित अहिंसा।पर निंदा सम अघ न गरीसा।। इस चौपाई के भाव की स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि रामचरितमानस पूरे विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी प्रत्येक चौपाई को हम अपने जीवन के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं यहां पर संत की महिमा का गुणगान किया गया है आजकल हम अहिंसा की बातें करते रहते हैं क्या हिंसा केबल किसी को मारना ही है बिल्कुल नहीं किसी की निंदा करना या किसी का दिल दुखाना भी हिंसा ही है अपनी वाणी से किसी का मन दुखी हो ऐसा कभी मत कीजिए यह भी हिंसा के अंतर्गत ही आता है।
पाठक परदेसी ने जिज्ञासा की
पानी केरा बुदबुदा इस मानुस की जातl
देखत ही छुप जाएगा यू तारा प्रभातll
महात्मा कबीर के दोहे पर प्रकाश डालने की कृपा को भगवन, कबीर जी की इन पंक्तियों के भाव की स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि यहां पर कबीर जी कहते हैं कि हमारा जीवन पानी के बुलबुले की तरह है कब वह फूट जाएगा यह हमें ज्ञात नहीं अतः जो जीवन है उसी का सदुपयोग करना चाहिए भगवान के साथ प्रीति लगाए रखना चाहिए।
गोरेलाल सिन्हा ने जिज्ञासा रखी की कबीरा निंदक ना मिले पापी मिले हजार। एक निंदक के ऊपर लाखों पापी के भार। , इन पंक्तियों की स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि निंदा करने वाला एक हत्यारे से भी बड़ा अपराधी है मृत्यु से भी अधिक दुखदाई होता है जब कोई निंदा करता है निंदा करने की भी दो भाव होते हैं जब कोई व्यक्ति सच में कुछ बुरा किया रहता है और उसकी निंदा की जाए और जब कोई व्यक्ति कोई अपराध ही ना किया हो और उसकी निंदा किया जाए तो वह अक्षमय श्रेणी में आता है।