@ सरगुजा // पीयूष कुमार साहू।।
भारत की परिवार संस्था दुनियां में सर्वश्रेष्ठ है: मारना मैक्निट
बाल अधिकारों से जुड़े व्यक्तियों को संवेदनशील होना चाहिये- डॉ राघवेंद्र
कोविड के पश्चावर्ती माहौल में समाज की भूमिका अहम :डॉ चौबे
बाल श्रम एवं फॉस्टर केयर पर हुई सार्थक चर्चा
चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 50 वी ई संगोष्ठी सह प्रशिक्षण कार्यशाला को आज अमेरिका से प्रो मारना एम मेक्नित ने संबोधित किया।उन्होंने अमेरिकी समाज व्यवस्था में बच्चों की वैकल्पिक सुरक्षा एवं संरक्षण के अमेरिकी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की।इस कार्यशाला को प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती वसुन्धरा के अलावा बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े मनीष शर्मा ने भी संबोधित किया।
अमेरिकी समाज व्यवस्था में वैकल्पिक पुनर्वास एवं सरंक्षण की चर्चा करते हुए सुश्री मायर्ण ने कहा कि सरंक्षण एवं जरूरतमंद बच्चों के लिए अमेरिकी समाज व्यवस्था में बहुत ही प्रमाणिक व्यवस्थाएं प्रचलन में है।18 वी सदी के उत्तरार्द्ध से अमेरिकी समाज में फॉस्टर केयर जैसे प्रावधान अमल में लाये जा रहे है जो वस्तुतः उस दौर में एचआईवी संक्रमित परिवारों के बच्चों को ध्यान में रखकर आरम्भ किये गए थे।उन्होंने बताया कि अमेरिका में फॉस्टर केयर को लेकर बहुत ही व्यवस्थित तरीके से काम होता है जिन परिवारों को ऐसे बच्चे पालन पोषण के लिए दिए जाते हैं उनका मानक प्रशिक्षण भी यहां दिया जाता है ताकि पारिवारिक सुमेलन आसानी से हो सके।
सुश्री मायर्ण ने भारतीय परिवार व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दुनियां में सबसे मूल्यपरक एवं संवेदनाओं से परिपूर्ण व्यवस्था है।परिवार या कुटुंब की जो अवधारणा भारत में प्रचलित है वह दुनियाभर के लिए आज भी अनुकरणीय है।उन्होंने वैश्विक स्तर पर बच्चों के बेहतर पुनर्वास एवं सरंक्षण के सबन्ध में भी अमेरिकी प्रावधानों के आलोक में प्रकाश डाला।
सरंक्षण और जरूरतमंद बालकों के असंस्थागत पुनर्वास पर चर्चा करते हुए प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती वसुंधरा ने कहा कि कोविड 19 महामारी ने समाज में अनाथ ,बेसहारा बालकों की संख्या को बढ़ा दिया है।हमारी सामाजिक जबाबदेही सरकारी तंत्र के समानांतर ऐसे बच्चों के प्रति अब बढ़ जाती है।आईसीपीएस के तहत ऐसे बालकों को फॉस्टर केयर योजना के तहत कैसे कवरेज दिया जा सकता है इस सबन्ध में बाल कल्याण समितियों के सामने आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को लेकर भी उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला।सुश्री वसुंधरा ने फॉस्टर केयर के लिए चिन्हित किये जाने वाले बालकों एवं परिवारों के तकनीकी पक्षों पर भी प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।उन्होंने बताया कि पश्चावर्ती कोविड काल में वास्तविक जरूरतमंद बालकों का चयन किया जाना और उन्हें पारिवारिक सरंक्षण में भेजना एक बहुत ही संवेदनशील प्रक्रिया है जिसे पूरे समर्पण और कौशल के साथ किये जाने की आवश्यकता है।
नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ पिछले दो।दशक से बाल श्रम उन्मूलन में कार्यरत मनीष शर्मा ने बताया किन2025 तक हमारे समक्ष बाल श्रम के।साथ बाल तस्करी,बाल विवाह जैसी बुराइयों के शमन का लक्ष्य है और इसे समाज की व्यापक भागीदारी के बगैर हासिल किया जाना संभव नही है।श्री शर्मा ने बताया कि बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से अभी तक एक लाख से अधिक बच्चों को शोषणमूलक परिस्थितियों से मुक्त कराकर मुख्यधारा में स्थापित किया गया है।कोविड दौर में ऐसे बच्चों की संख्या ग्यारह हजार पाई गई है।उन्होंने बताया कि संस्था के जमीनी पूर्वानुमान के अनुसार पोस्ट कोविड परिस्थितियों में बाल श्रम,बाल तस्करी एवं खरीद फरोख्त की संभावनाओं में बढ़ोतरी अवश्यंभावी है क्योंकि इस महामारी ने गरीब तबके के लोगों की रोजीरोटी ,रोजगार को छीनने का काम।किया है।नतीजतन बच्चों पर इसके प्रभाव स्वाभाविक है।उन्होंने बताया कि देश भर बाल श्रम को लेकर फाउंडेशन का अनुभव एक जैसा है और बच्चों का नियोजन एक से शोषण की तस्वीर कहता है।
चाईल्डकंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र ने इस बात पर प्रशन्नता जाहिर की कि फाउंडेशन ने बर्ष भर में अपने डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से न केवल भारत बल्कि अमेरिका,आस्ट्रेलिया एवं अन्य यूरोपीय देशों तक अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करा दी है।उन्होंने कोविड के बाद उपजी परिस्थितियों को बेहद अहम बताते हुए कहा कि फाउंडेशन से जुड़े सभी बाल अधिकार कार्यकर्ताओं को सजगता के साथ साथ संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिये क्योंकि बालमन को बगैर स्थाई संवेदना के साथ समझा जाना संभव नही है।इस सेमिनार में छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू,राजेश सराठे, अनिल हरदहा,पुनम सिन्हा, सरिता पांडेय, ओमप्रकाश चन्द्राकर सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।यह जानकारी छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान के सचिव सुरेन्द्र साहू ने दिया है।