Big News :- अब जान के भी हो जाएंगे हैरान किस श्मशान घाट को चक्रतीर्थ माना जाता अगर आप सभी नहीं जानते तो जान जाइए...-

Big News :- अब जान के भी हो जाएंगे हैरान किस श्मशान घाट को चक्रतीर्थ माना जाता अगर आप सभी नहीं जानते तो जान जाइए...-

PIYUSH SAHU (BALOD)
@ बालोद // पीयूष कुमार साहू।।
प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास के द्वारा आज सुबह 10 बजे से 11 बजे तक किया गया जिसमें हजारों भक्तगण एक साथ जुड़े एवं अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किये।
            आज की सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल ने जिज्ञासा रखी की उज्जैन के शमशान को चक्रतीर्थ माना जाता है। आश्चर्य होता है कि देश के एक शमशान को भी तीर्थ की संज्ञा दी गयी है। कृपया इसके बारे में बताने की कृपा करेंगे बाबा जी।, महाकाल की नगरी के इस विषय को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि शमशान जहाँ जाने मात्र सेसब अशुद्ध हो जाते है लोगो को स्नान करना पड़ता है तो वह उज्जैन का कैसा चक्रतीर्थ शमशान है जिसे तीर्थ की संख्या दी गई है, मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को चक्रतीर्थ शमशान में जलने वाले प्रथम सौभाग्यशाली चिता की भस्म से स्नान कराया जाता है परंतु अब यह नियम बदल गया है अब उन्हें हवन की भस्म से स्नान कराया जाता है, इसीलिए इस शमशान को तीर्थ की संज्ञा दी गई है, असल में चक्रतीर्थ अघोरी संतों का बसेरा है उज्जैन में अघोर परंपरा चरम पर है अघोर का वास्तविक शाब्दिक अर्थ अ +घोर अर्थात जिससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि अघोर व्यक्ति दिखने में बहुत ही भयानक होते हैं लेकिन जिनके भाव से ही स्पष्ट है कि इनसे हमें डरने या भयभीत होने की आवश्यकता नहीं होती, इस तीर्थ में पूरे विश्व के अघोरी कठिन तपस्या करने आते हैं
   बालमुकुंद साहू जी ने जिज्ञासा रखी थी 
भगवान जगन्नाथजी मन्दिर में 
भगवान कृष्ण सुभद्रा मैया और दाउ जी का स्वरूप अलग अकार में कैसे हुआ अर्थात आँखे बड़ी बड़ी और हाथ पैर का सिकुड़ना 
प्रभु के इस स्वरूप के बारे में बताए ।, बाबा जी ने बताया कि एक बार माता यशोदा कृष्ण जी की सारी पट रानियों के साथ बैठकर कृष्ण जी की लीलाओं का वर्णन करने लगी उसी समय द्वार पर सुभद्रा जी श्री कृष्ण भगवान और बलदाऊ जी भी उपस्थित थे वे भी यहां कथा सुन रहे थे और भाव विभोर हो उनका अंग प्रत्यंग प्रसन्नता से एवं भाव से भर गया था जिसका स्वरूप नारद भगवान देख रहे थे और उन्होंने भगवान से विनती की कि आप जगत में इसी अवतार में अवतरित हो ताकि सभी व्यक्ति यह कथा सुनकर भावविभोर हो 
 पाठक परदेसी ने जिज्ञासा रखी थी 
कबीर यह संसार है, जैसा सेमल फूलl
दिन दस के व्यवहार में, झूठे रंग न भूलll
       संत कबीर जी की वाणी पर प्रकाश डालने की कृपा हो भगवनl, बाबा जी ने दोहे को स्पष्ट करते हुए बताया कि जिस तरह से सेमल का फूल 10 दिन तक खुलता है उसके बाद उसमें से बदबू आने लगती है वैसे ही यह संसार है यह कुछ दिन तक तो आपको बहुत अच्छा लगेगा लेकिन जो दिखता है वह कभी नहीं होता बाद में वह आपके लिए सेमल के फूल की भांति ही है इसलिए कभी भी संसार से मोह ना करते हुए अपने अंत समय में केवल और केवल आपका कर्म और आप ही साथ जाएंगे ऐसा मानना चाहिए।
 रामेश्वर वर्मा ने बड़े भाग मानुष तनु पावा।सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।।साधन धाम मोच्छ कर द्वारा।पाइ न जेहिं परलोक संवारा।। इस चौपाई पर प्रकाश डालने की प्रार्थना की
 इस चोपाई के भाव के स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि कई लोग अपने मनुष्य जीवन से असंतुष्ट रहते है हमारे पास यह नहीं है तो वह नहीं है परंतु जो सुर दुर्लभ तन हमें मिला है अर्थात जो देवता के पास भी नहीं है जिसे देवता पाने को तरसते हैं वह मानुष तन हमारे पास है क्योंकि इस मनुष्य तन में भक्ति पूजा कथा ज्ञान हवन तीर्थ भाव भक्ति भजन कर सकते हैं नाम रूप गुण लीला धाम सब इसी रूप में कर सकते हैं इसीलिए इस मानव रूप को ही दुर्लभ कहा गया
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सतसंग मधुर भजन के साथ संपन्न हुआ आज बाबाजी ने बताया कि पाटेश्वर धाम दर्शन खुल गया है भक्तगण अब दर्शन हेतु आ सकते है।
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