@ बालोद// सीएनबी लाइव न्यूज़।।
ज्ञान और ध्यान का केंद्र संत राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग आज सभी के लिए प्रेरणा एवं समय के सदुपयोग का सर्वोत्तम साधन बन गया है, संत श्री के द्वारा प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे अपने विभिन्न वाट्सएप ग्रुपों में एक साथ ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी लगभग 1000 भक्तगण प्रतिदिन जुड़ते हैं और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं और इन जिज्ञासाओं के समाधान से सभी के ज्ञान में वृद्धि हो रही है।
आज की सत्संग परिचर्चा में रामचरण जी ने रामचरितमानस की चौपाइयां
सूरपति सुत धरि वायस वेषा l
सठ चाहत रघुपति बल देखा ll
जिमी पिपीलिका सागर थाहा
महा मंदमति पावन चाहा ll
इस पर प्रकाश डालने का निवेदन रखा, इसके भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा ने बताया कि संतों ने पूर्णतः स्पष्ट किया है कि यदि भगवान का बल देखना है तो वह केवल कोई ज्ञानी ही देख सकता है, इन पंक्तियों में तुलसीदास जी ने इंद्र पुत्र जयंत को सठ कहा है जो कि प्रभु राम का बल देखना चाहता था वह तो उसे प्राप्त नहीं हुआ उल्टा उसकी इज्जत तो गई और एक आंख भी गवा बैठा यह वैसे ही था जैसे एक पिपलीका नाम की चिड़िया समुद्र की गहराई को नापने के लिए अपनी चोंच में उसका जल भरकर सोचती है कि ऐसा कर वह समुद्र को खाली कर देगी लेकिन ऐसा कभी भी संभव नहीं है, इस तरह की चेष्टा को ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता बताया है यही संसार में वर्तमान में हो रहा है केवल लोग कॉपी पेस्ट कर रहे हैं जहां जो भी ज्ञान मिलता है उसको ग्रहण तो करते नहीं है इस ज्ञान को वहां से वहां वहां से यहां करते हैं इस तरह से अपने जीवन में कभी कॉपी पेस्ट ना करिए यह ज्ञान को अपने आचरण में उतारे।
रामेश्वर वर्मा ने निम्न चौपाइयों के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से की
राम भगति मनि उर बस जाकें।दुख लवलेस न सपनेहुं ताके।। चतुर सिरोमनि तेरी जग माहीं।जे मनि लागि सुजतन कराहीं।।
संत श्री ने इनके भाव को स्पष्ट करते हुए बताया कि उपरोक्त सभी चौपाई अद्भुत है इनमें गूढ़ रहस्य छिपा है यह मणि की तरह ही है जिसे वही व्यक्ति प्राप्त कर सकता है जो इसे आनंद के साथ सुमिरन करता है, अतः इन पंक्तियों के महत्व को जानना बहुत जरूरी है राम भक्ति जो कि राम जी के नाम से ही प्राप्त होती है दुख में भी दुख ना हो और सपनों में भी दुख ना हो, अर्थात जब दुख की घड़ी आए भी तो हम सिर्फ और सिर्फ परमात्मा पर विश्वास रखते हुए उनकी कृपा को मानते हुए यह समय भी बीत जाएगा और 1 दिन अच्छा समय आएगा ऐसा ही सोच कर चले और यही हमारे लिए हितकारी होता है इन पंक्तियों में ही भाव स्पष्ट किया गया है
पाठक परदेसी ने जिज्ञासा रखी कि संसार को स्वप्न वत माना गया है तो ऐसा क्यों है, इस प्रश्न को स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि क्या कोई बता सकता है कि दीपक को जब जलाया जाता है तो लौ कहां से प्राप्त होती है या फिर दीपक को जब बुझाया जाता है तो वह लौ कहां चली जाती है जिस दिन हम यहां ज्ञात कर लेंगे उसी दिन हम यह रहस्य भी जान पाएंगे कि संसार को स्वप्न वत क्यों माना गया है।
भिलाई से सरस्वती देवी ने प्रश्न किया कि क्या साबूदाने को हम व्रत उपवास में खा सकते हैं, बाबा ने बताया कि साबूदाना वैसे तो एक वृक्ष के कंद से बनाया जाता है परंतु आज के दौर में शकरकंद को सड़ा कर उसमें कीटाणु उत्पन्न कर बनाया जाता है जिसके कारण कई आश्रम और संतों में इसका निषेध कर दिया गया और भगवान को भी यह भोग रूप मे नही चढ़ाया जाता इसलिए हम संत गन भी इसे नहीं ग्रहण करते इसकी जगह आप भगर,सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा,राजगिरा का आटा,आलू,शकरकंद,फल के जूस,टमाटर,खीरा,ककड़ी दही व्रत में खा सकते हैं।
किरण पांडे रायपुर ने प्रश्न किया कि क्या महिलाएं हनुमान जी का पूजा पाठ कर सकती है इस प्रश्न को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि सभी महिलाएं हनुमान जी का चालीसा कर सकती है हनुमान जी का सुंदरकांड कर सकती हनुमान जी की पूजा अर्चना कर सकती है।उन पर जो नारियल चढ़ाया जाता है उसे भी वह फोड़ सकती हैं, बस यह है कि उनके विग्रह को कभी भी स्पर्श करने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए, यही नही हमें तो किसी भी भगवान के विग्रह को मंदिर आदि में स्पर्श नहीं करना चाहिए, दूर से ही दर्शन ग्रहण करें।