@ बालोद// सीएनबी लाइव न्यूज़।।
विकट परिस्थितियों में, सभी को मार्गदर्शन एवं संवेदना प्रदान करने वाले ऑनलाइन सत्संग का आयोजन श्री संत राम बालक दास जी महात्यागी जी के द्वारा प्रतिदिन संचालित किया जा रहा है। प्रातः 10:00 से 11:00 बजे सीता रसोई संचालन व्हाट्सएप के 4 ग्रुप में यह ऑनलाइन सत्संग का आयोजन होता है, जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर विभिन्न धर्म धार्मिक, ज्ञान वैज्ञानिक समसामयिक जानकारियों पर अपनी जिज्ञासाओं को प्रेषित करते हैं एवं संत श्री के श्री मुख से इनका समाधान प्राप्त करते हैं।
रामनवमी के उत्सव में सभी ने ग्रुप में एक दूसरे को बधाई देते हुए श्री रामचरितमानस की पंक्तियां प्रस्तुत की, बाबा जी के द्वारा अति मधुर भजन ठुमक चलत रामचंद्र..... सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, केशव साहू जी के रामनवमी पर -कहीं पंक्तियां अद्भुत रही, पुरुषोत्तम अग्रवाल जी पाठक परदेसी जी डुबोवत्ती यादव जी की रामचरितमानस की पंक्तियां एवं भजनों ने सभी को आनंदित कर दिया।
भजन एवं मानस ग्यान से परिपूर्ण सत्संग में विभिन्न जिज्ञासाए भी आज समाहित की गई जिसमें पाठक परदेसी जी ने राम जी के जन्म पर जिज्ञासा रखी, श्री रामचंद्र जी के जन्म के विषय में बाबा जी ने बताते हुए कहा कि आज के दिन हमें श्री रामचंद्र जी की यह कथा विशेष रूप से सुनना चाहिए, मेरे विचार में सबसे बड़ी बात है, कि रामचंद्र जी का जन्म ना ही राक्षसों की वध के लिए वह ना ही मैया कौशल्या या दशरथ जी या सीता जी के लिए यह तो केवल और केवल हम जैसे पतित अधर्मीयों के जन्म जन्मांतर के उद्धार के लिए हुआ हैं जिनके नाम मात्र से ही हमारे सारे पाप धुल जाते हैं और राम जी का नाम लेने से ही मरणोपरांत हम पवित्रता को प्राप्त करते हैं।
साधक पवन कुमार गुप्ता जी चौकी ने जिज्ञासा की कि पुज्य महाराज जी नवरात्रि पर्व पर देवी पुजन कर कही अष्टमी कर व्रत त्याग किया जाता है वहीं कहीं नवमी कर व्रत त्याग किया जाता है जब नव दिनों और आठ दिनो का भेद क्या हैं इस सही क्या है। ...कृपया समाधन करने की कृपा करें ... इसका समाधान बताते हुए बाबा जी ने कहा कि कहीं तो हवन पूजन के पश्चात माता का आसन अष्टमी के दिन ही डोला दिया जाता है ।और दूसरे दिन नवमी का त्यौहार एवं पूजन किया जाता है ।रामनवमी मनाई जाती है परंतु जब तक 9 दिन तक आप उपासना कर ले हवन पूजा ना कर ले तो यह साधना अधूरी ही मानी जाती है अतः उचित होगा कि आप नवमी के दिन संध्याकाल को ही व्रत को तोड़े या दूसरे दिन दशमी के दिन अपना व्रत खोलें।
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ।