@धरसीवा//सीएनबी लाईव।।
कड़ाई के बावजूद क्राइम थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन किसी न किसी मामले को लेकर राजधानी सुर्ख़ियों में बनी रहती है।औद्योगिक सिलतरा क्षेत्र में भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिलता है। जुआ के अब सट्टा का अवैध कारोबार भी शहर में तेजी से फलफूल रहा है। धरसीवा ब्लॉक में कई ठिकानों पर खुलेआम सट्टा पट्टी लिखी जा रही। हर दिन सट्टा बाजार में पांच लाख से ऊपर का दांव पर लग रहा। सुबह 10 से रात 12 बजे तक इन ठिकानों में सटोरियों का जमघट लगा रहता है। एक बार फिर सटोरिये सिर उठाने लगे हैं।
धरसीवा ब्लॉक में आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों महिंद्रा चौक, विधानसभा रोड धनेली नाला के पीछे, नगर पंचायत कुरा, चौक,पर सट्टा पट्टी लिखी जा रही। लोग लाइन लगाकर पट्टी लिखवाने पहुंच रहे। इसकी वजह से इन स्थानों में लोगों की सुबह से लेकर रात तक जमवाड़ा लगा रहता है लेकिन फिर से परिवार को तबाह करने वाला यह खेल शुरू हो गया है। इसकी लत की वजह से पहले ही कई लोग बर्बाद हो चुके है।इस सामाजिक बुराई को दूर करने पुलिस ने एक जमाने में जमकर अभियान चलाया और इससे निजात भी मिली।
अचानक ऐसा क्या हुआ कि सटोरिये के फिर से हौसले बढ़ गए। सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस का खौफ सटोरियों में नहीं रहा। गंभीर बात यह है कि तेजी से सट्टा के अड्डों की धरसीवा ब्लॉक में फैल रही। ऐसे में पुलिस इससे अंजान भला कैसे रह सकती है। अब माजरा चाहे जो भी हो, पर सट्टा के इस दलदल में संपन्न लोगों के अलावा ऐसे लोग भी फंसते जा रहे, जो रोज कमाते हैं, तब उनका घर चलता है।यदि ऐसे लोग अधिक रकम कमाने के चक्कर में सट्टे में दिन भर की कमाई हार जाएं तो परिवार में भूखों मरने की नौबत आ जाती है। इन सबसे भला सट्टा चलाने वालों को क्या लेना- देना। वे तो बस इससे होने वाली मोटी कमाई से मतलब रखते हैं। यह बीमारी नासूर बने, इससे पहले ही पुलिस के शीर्ष अफसरों को मामले को संज्ञान में लेना होगा।
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