@पीयूष साहू
छत्तीसगढ़ के पाटेश्वर धाम के महान संत राम बालक दास जी के द्वारा, सभी के ज्ञान वृद्धि हेतु एवं प्रभु से मिलन कराने हेतु ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रतिदिन सीता रसोई संचालन ग्रुप में किया जाता है
जिसमें विभिन्न धार्मिक विषयों पर चर्चा तो होती ही है साथ ही सामाजिक विषयों का भी प्रतिपादन एवं परिचर्चा समाहित की जाती है प्रतिदिन भक्तों द्वारा अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया जाता है उनके द्वारा सुंदर-सुंदर भजनों की भी प्रस्तुति होती है छोटे-छोटे बच्चों की मधुर वाणी में गाए जाने वाले भजन से सभी जुड़ने वाले भक्तगण सत्संग का आनंद दुगना प्राप्त कर पाते हैं
बाबा जी के द्वारा भक्तों की विनती पर एवं उनकी रूचि के भजन भगवान के प्रत्येक दिव्य रूप के वर्णन के साथ एवं ज्ञान से समाहित होते हुए आनंद को परमानंद की ओर ले जाते हैं , आज पाठक परदेसी जी ने
सतसंग परिचर्चा में जिज्ञासा रखी थी महाराज जी आम धारणा है कि वर्षों सुसंग कर प्राप्त किया गया पुण्य कुछ क्षणों के कुसंग से नष्ट हो जाता है ऐसा क्यों होता है ?
सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए बाबा जी ने बताया कि, यह इसलिए होता है क्योंकि सत्संग केवल भगवत कृपा से माता-पिता की कृपा से बड़े बुजुर्गों की कृपा से संस्कार से प्राप्त होता है इसीलिए वह हम सबके जीवन में स्थाई बन जाता है परंतु कुसंग हम अपनी मूर्खता से प्राप्त करते हैं जब भी कोई गलत संगत हम करते हैं, तो हमारा दिल हमें एक बार जरूर सचेत करता है कहता है कि अपना कुसंग त्याग दो परंतु जानबूझकर हम उस कुसंग में फंस जाते हैं इसलिए थोड़े स्वार्थ और थोड़े सुख थोड़े लालच के कारण हम कुसंग को समझ नहीं पाते और उसने उलझ कर रह जाते हैं
इस प्रकार परम आनंद से भरा हुआ सत्संग पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम।