कोरोनाकाल में टीबी मरीजों की संख्या घटी है। संक्रमण के डर से लोग टीबी का इलाज कराने भी नहीं पहुंचे। 2019 के मुकाबले 2020 में सिम्स में 53.45 फीसदी टीबी के रोगी घटे हैं। सिम्स के आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष पूरे साल में 2366 मरीज ही टीबी का इलाज कराने पहुंचे। जबकि पिछले वर्ष 2019 में 5085 टीबी मरीजों ने सिम्स में इलाज कराया था।
सिम्स अधीक्षक डॉक्टर पुनीत भारद्वाज का कहना है कि कोरोना के डर से टीबी के मरीजों की संख्या घटी है। लोगों में डर था कि कहीं उन्हें कोरोना न हो जाए। दूसरा कारण था लॉकडाउन। पूरे सब लॉक था तो मरीजों को आना भी एक तरह से न के बराबर था। अब धीरे-धीरे सब पहले जैसा हो रहा है। जितने भी मरीज आए हैं अधिकांश स्वस्थ हुए हैं। टीबी से मृत्यु दर बहुत कम है।
इस वर्ष 5638 मरीज पहुंचे 2019 में 11268 आए थे
इधर सिम्स के चेस्ट एवं टीबी रोग विभाग में पिछले वर्ष के मुकाबले 49.97 फीसदी मरीजों की संख्या घटी है। मुख्य कारण कोरोना ही है। सांस के मरीज कोविड के डर से अपना नियमित इलाज कराने भी अस्पताल नहीं पहुंचे।
क्योंकि जिन्हें डर था कि कहीं वे कोरोना की चपेट में न आ जाएं। क्योंकि कोरोना चेस्ट, टीबी और सांस से पीड़ित मरीजों के लिए और घातक है। 2019 में 11268 मरीज पहुंचे थे। इनमें 541 भर्ती हुए थे। इस वर्ष 5638 मरीज ही आए। 328 को भर्ती किया गया।
अस्थमा के 56 व सीओपीडी के 42% मरीज घटे
अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की संख्या भी घटी है। 2019 के मुकाबले 2020 में 56.37 फीसदी अस्थमा के मरीज कम आए हैं। वहीं सीओपीडी की बात करें तो 42.71 मरीज सिम्स नहीं पहुंचे। 2019 में अस्थमा के 1980 मरीजों ने सिम्स में इलाज कराया था। वहीं सीओपीडी के 4203 मरीज पहुंचे थे। इस वर्ष अस्थमा के सिर्फ 864 और सीओपीडी के 2408 मरीजों ने सिम्स से इलाज कराया। काेविड के दौर में दूसरी बीमारी के मरीज प्रभावित हुए हैं।
टीबी के लक्षण
- खांसी आना टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है।
- पसीना आना, पसीना आना टीबी होने का लक्षण है।
- खार रहना जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है।
- थकावट होना
- वजन घटना
- सांस लेने में परेशानी
बचाव के तरीके
दरअसल, टीबी का बैक्टीरिया कई बार शरीर में होता है लेकिन अच्छी इम्युनिटी से यह एक्टिव नहीं हो पाता और टीबी नहीं होती। ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर न रहें और वहां जाने से परहेज करें। टीबी के मरीज से थोड़ा दूर रहें।
अस्थमा के लक्षण
- बार-बार खाँसी आना। अधिकतर दौरे के साथ खांसी आना।
- सांस लेते समय सीटी की आवाज आना।
- छाती में जकड़ाहट तथा भारीपन।
- सांस फूलना।
- खांसी के समय कठिनाई होना और कफ न निकल पाना।
- गले का अवरूद्ध एवं शुष्क होना।
- बेचैनी होना।
- नाड़ी गति का बढ़ना।
बचाव के उपाय
- धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें।
- ताजा पेन्ट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की कॉइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें।
- रंगयुक्त व फ्लेवर, एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।