मालिक के नाम अब शुरू होगी रजिस्ट्री... सबसे पहले जिसे मिलेगी जमीन मालिकाना हक उसी का...

मालिक के नाम अब शुरू होगी रजिस्ट्री... सबसे पहले जिसे मिलेगी जमीन मालिकाना हक उसी का...

Avinash

राज्य शासन ने गोलबाजार की डेढ़ एकड़ जमीन 1 रुपए की टोकन मनी पर नगर निगम के नाम ट्रांसफर कर दी है। अर्थात, अब नगर निगम अपनी इस संपत्ति की दुकानदारों के नाम रजिस्ट्री कर सकेगा। लेकिन निगम ने फैसला कर लिया है कि जिस व्यक्ति को यहां की दुकान सबसे पहले किराए पर दी गई थी, मालिकाना हक उसी को मिलेगा और रजिस्ट्री उसी के नाम पर की जाएगी। इससे करीब 960 दुकानों वाले इस बाजार के अधिकांश कारोबारी परेशान हो गए हैं।
गोलबाजार की बेशकीमती जमीन नगर निगम को एक रुपए के टोकन रेट पर शासन ने दे दी है। शनिवार को राज्य शासन के राजस्व व आपदा प्रबंधन विभाग ने निगम को जमीन आबंटित करने का आदेश कलेक्टर को दिया है। इस तरह, दुकानदारों के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। निगम अब जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू करेगा। अंशदान के बंटवारे तथा कारोबारियों को दुकानों की रजिस्ट्री के लिए दर तय करने एक कमेटी बनाई गई है। शनिवार को जारी आदेश के अनुसार गोलबाजार स्थित भूमि ब्लॉक 92, प्लाट नम्बर 1 तथा रकबा 153305 वर्गफुट है। मेयर एजाज ढेबर ने कहा कि इससे गोलबाजार के व्यापारियों को मालिकाना हक दिए जाने की दिशा में जल्द कार्रवाई शुरू हो सकेगी।

10 बाई 10 की दुकान 7.5 लाख की
गोलबाजार में 100 वर्गफीट यानी 10 बाई 10 की दुकान की न्यूनतम कीमत साढ़े 7 लाख रुपए अा रही है। 500 वर्गफीट का रेट 40 लाख रुपए के पार चला जाएगा। वजह ये है कि मालवीय रोड से 20 मीटर तक का गाइडलाइन रेट 7500 रुपए वर्गफीट है और रजिस्ट्री इसी रेट पर होगी। गोलबाजार में मेन रोड का रेट साढ़े 10 हजार रुपए वर्गफीट है। मेन रोड में 100 वर्गफीट की कीमत 10 लाख और 500 वर्गफीट की कीम 50 लाख से ज्यादा होगी। दुकान की साइज के अनुसार दरें तय होंगी। गोलबाजार में निगम से दुकान आबंटित 960 कारोबारी हैं। इन कारोबारियों के नाम पर गोलबाजार में काबिज जगह की रजिस्ट्री की जाएगी। इससे निगम को लगभग चार सौ करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। निगम इसी रकम से गोलबाजार का डेवलपमेंट करेगा और कुछ हिस्सा शासन को भी दिया जाएगा।

आधे दुकानदारों की रजिस्ट्री मुश्किल में
निगम के रिकार्ड में गोलबाजार में 960 कारोबारी हैं। अधिकांश दुकानें 1950 से पहले की आवंटित हैं। बाद में इनमें से कई लोगों ने दुकानें बेच दीं। अफसरों के मुताबिक आधी से ज्यादा दुकानें और पाटे हैं, जिन्हें एक नहीं बल्कि कई-कई बार बेचा गया। चूंकि गोलबाजार की दुकानें बेचने की अनुमति ही नहीं थी, इसलिए सारी खरीदी-बिक्री कच्चे में हुई है। इधर, निगम ने तय कर लिया है कि वह रजिस्ट्री उन्हीं की करेगा, जिसके नाम पर 1950 से पहले दुकान आवंटित थी।

खरीदी-बिक्री अवैध
"तकनीकी आधार पर मालिकाना हक तो उन्हें ही मिलना चाहिए, जो मूल किराएदार हैं। जिन्होंने बाद में दुकानें खरीदी-बेचीं, वे आपस में समझ लें क्योंकि वहां खरीदी-बिक्री हो ही नहीं सकती थी और इसे निगम अवैध ही मानेगा।"
-एजाज ढेबर, मेयर रायपुर



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