
राजधानी में रात का तापमान तेजी से गिरकर 12 डिग्री से नीचे चला गया, नतीजतन सतह से नजदीक की हवा का घनत्व बढ़ गया है। इसका असर यह हुआ है कि शहर की सड़कों से उड़ी धूल और धुआं हवा में 40-50 फीट से ऊपर नहीं जा पा रहा है। सड़क-निर्माण कार्यों की धूल, कारखानों से निकली प्रदूषक गैसें और धुआं पूरे शहर के ऊपर इस तरह की लेयर बना चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर परत वाले हिस्से का विश्लेषण किया जाए तो वहां एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरे के निशान यानी 300 से ऊपर भी हो सकता है।
धूल-धुएं की यही परत घातक
रविवि में रसायन विभाग के प्रोफेसर डा. शम्स परवेज ने कहा कि कई तरह की चीजों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व हवा में फैले रहते हैं। ठंड में हवा भारी होती है। इसलिए प्रदूषक तत्व हवा में जमा होते हैं। इससे चर्म रोग, एलर्जी, दमा, अस्थमा, सांस में तकलीफ और फेफड़े के इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
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