इस क्रिसमस नहीं दिखेंगे कैरोल ग्रुप, कैंप फायर भी कुछ ही जगहों पर, चर्च जाने वाले हर व्यक्ति का रखा जाएगा रिकॉर्ड

इस क्रिसमस नहीं दिखेंगे कैरोल ग्रुप, कैंप फायर भी कुछ ही जगहों पर, चर्च जाने वाले हर व्यक्ति का रखा जाएगा रिकॉर्ड

Avinash

इस बार प्रभु यीशु मसीह के जन्म का उत्सव कोरोना के साये में मनाया जा रहा है। अमूमन क्रिसमस से माहभर पहले ही गड़रिए घर-घर जाकर यीशु के जन्म का संदेश देने लगते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका। कैरोल सिंगिंग ग्रुप भी इस बार नहीं निकलेंगे। कैंप फायर भी कुछ बड़ी जगहों पर ही होंगे। इसके अलावा 25 दिसंबर को चर्च जाने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखने उनका नाम रजिस्टर में दर्ज करने का फैसला भी लिया गया है।
इस क्रिसमस 2 हजार साल पुरानी संस्कृति के दर्शन नहीं होंगे। जीसस के जन्म का संदेश तरानों के जरिए देने वाले कैरोल सिंगिंग ग्रुप इस बार नहीं निकलेंगे। नए साल पर होने वाले प्रीतिभोज और वनभोज यानी पिकनिक भी नहीं होंगे। इससे पहले लॉक डाउन की वजह से दुनियाभर में प्रभु यीशु के बलिदान का पर्व गुड-फ्राइडे व पुनरुत्थान पर्व ईस्टर भी नहीं मनाया जा सका। जिस तरह प्रभु यीशु की कबर पर उनके चेले व माता व बहनें तीसरे दिन सुगंधित द्रव्य व फूल चढ़ाने गए थे उसकी याद में हर साल मसीही कब्रिस्तानों में पुरखों की समाधि पर लोग पुष्पांजलि देने नहीं जा सके थे।

गिरिजाघरों में सजाई जाएगी प्रभु की चरणी तो घरों में सजेंगे क्रिसमस ट्री
भले ही कोरोना ने उत्साह ठंडा कर दिया है, लेकिन गिरजाघरों में परंपरागत आराधनाएं जैसे धन्यवादी पर्व, आगमन के रविवार, श्वेत दान की आराधना धार्मिक व आत्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। क्रिसमस पर चर्चों में प्रभु की चरणी और घरों में क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा है जिसमें कोई कमी नहीं की जाएगी। सैकड़ों बरस पुरानी निर्धनों को क्रिसमस की खुशी देने उन्हें नए कपड़े बांटने का रिवाज है। यह इस बार भी होगा। 24 दिसंबर को मध्य रात्रि क्रिसमस का स्वागत प्रार्थना से होगा। इसी तरह 31 दिसंबर की मध्य रात्रि वॉच नाइट सर्विस होगी। इसमें ईश्वर को विदा होते वर्ष की आशीषों के लिए धन्यवाद दिया जाएगा और नव वर्ष का वेलकम किया जाएगा। कई संस्थाओं व चर्चों में करौल सिंगिंग कंपीटिशन होते हैं जो इस साल ऑनलाइन यानी वर्चुअल कराने पर विचार हो रहा है।

टूटेगी परंपरा... क्रिसमस से एक रात पहले नाटक नहीं
बच्चों द्वारा बड़े दिन की पूर्व संध्या पर प्रति वर्ष प्रभु यीशु के जन्म को नाटकों (ड्रामा) के जरिए जीवंत किया जाता है। इस बार कई चर्चों में यह परंपरा भी टूटेगी। राजधानी में 29 नवंबर सीएनआई डे से ही घर-घर जाकर यीशु के आने की खुशी का संदेश देने वाले गडरिए निकल पड़ते हैं। हर साल यह सिलसिला 23- 24 दिसंबर तक चलता है। बाइबिल के अनुसार जगत के उद्धारकर्ता यीशु के बेतलेहम में जन्म का सुसमाचार सबसे पहले स्वर्गदूतों ने कैरोल गाकर रात को गडरियों को ही दिया था, जो कड़कड़ाती ठंड में मैदानों में अपने भेड़-बकरियों की रखवाली कर रहे थे। इसी की याद में कैरोल गायन घर-घर किया जाता है।

जिंगल बेल... की धुन के साथ निकलने वाला जुलूस शहर में बड़ा आकर्षण
राजधानी में छत्तीसगढ़ के आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर और सीएनआई के बिशप रॉबर्ट अली के नेतृत्व में करीब दस हजार मसीहियों के साथ निकलने वाला क्रिसमस जुलूस बड़ा आकर्षण होता है। इसके विकल्प के रूप में फोर व टू-व्हीलरों पर बड़े दिन की बधाई देने निकलने का प्लान बन रहा है।

कई दौर में मनेगा क्रिसमस : छत्तीसगढ़ के आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर और सीएनआई के बिशप रॉबर्ट अली, मारथोमा के बिशप मार जोसफ डिवानियुस व असिस्टेंट बिशप थॉमस रेमबेन , मेनोनाइट के बिशप द्वय बिशप एन. आशावान व बिशप वीएन जूर्री बड़े दिन के आयोजनों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। कैपिटल पास्टर्स फैलोशिप समेत दो दर्जन संगठनों के साथ मिलकर वे ऐसी व्यवस्था बनाने में लगे हैं कि हर साल की भांति क्रिसमस की प्रार्थना पर एक साथ हुजूम न उमड़े। बड़े दिन की आराधना एक दिन में एक से अधिक बार करने पर विचार किया जा रहा है। ताकि कम लोग जमा हों और सभी को त्योहार की प्रेयर में शामिल किया जा सके। गिरजाघरों में बेंचों पर टेग लगा दिए दिए गए हैं ताकि गाइड-लाइन के अनुसार दो लोगों के बीच पर्याप्त दूरी रहे। गेट पर सेनेटाइजर रखे जा रहे हैं।



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Carroll group will not be seen this Christmas, campfire will also be kept in a few places, records of every person going to church will be kept


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