केंद्र सरकार के कृषि संबंधी विवादित कानूनों के विरोध में रायपुर में किसानों का क्रमिक अनशन छठवें दिन भी जारी रहा। शनिवार को नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंद्योपाध्याय की अगुवाई में कई महिला किसान भी अनशन पर बैठीं। गांधी विचार मंच भी अनशन में शामिल हुआ। आंदोलनकारियों ने दिल्ली किसान आंदोलन में दिवंगत हुए किसानों के सम्मान में 20 दिसम्बर को श्रद्धांजलि सभा की घोषणा की है। यह सभा बूढ़ा तालाब स्थित अनशन स्थल पर ही होगी।
आंदोलन के दौरान शनिवार को नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंद्योपाध्याय, विजय लक्ष्मी ठाकुर, रामजी खिलवाड़, विजया सारथी और गांधी विचार मंच के डॉ. विक्रम सिंघल उपवास पर बैठे। गौतम बंद्योपाध्याय ने कहा, देश में चल रहा किसान आंदोलन सिर्फ किसानों की लड़ाई नहीं है बल्कि देश के संविधान की रक्षा की लड़ाई है। यह आंदोलन देश के संसाधन ही नहीं संस्कृति को बचाने की लड़ाई है। इसलिये किसानों को इस लड़ाई में जीतना जरूरी है। इसीलिये हम सब किसानों के संघर्ष में शामिल हैं।
साहित्यकार गिरीश पंकज ने भी धरना स्थल पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा, किसान सूरज उगने के पूर्व धरती मां की सेवा करने निकल जाता है। वह सिर्फ अपने लिए नहीं कमाता बल्कि पूरे समाज के लिये अन्न उत्पादित करता है। आज किसान के साथ-साथ देश का पूरा समाज संकट में है। सभा को छत्तीसगढ़ किसान-मजदूर महासंघ के रूपन चंद्राकर, तेजराम विद्रोही, सौरा यादव, डॉ. संकेत ठाकुर आदि ने भी संबोधित किया। अनशन के दौरान छत्तीसगढ़ सिख समाज के ज्ञानी बलजिंदर सिंह, देविंदर सिंह, कुलदीप सिंह, करमजीत सिंह, मनमोहन सिंह सैलानी ने समर्थन व्यक्त किया।
इस दौरान लीड फाउंडेशन के पवन सक्सेना, अंकित जैन, शिवनाथ किनारे, कृषक संस्था से पार्वती पटेल, माया श्रीवास, मनोरमा खरे, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के मदन साहू, ललित साहू, विश्वजीत हारोडे मौजूद रहे।
श्रद्धांजलि सभा की तैयारी
छत्तीसगढ़ सिख समाज के मनमोहन सिंह सैलानी ने एलान किया, दिल्ली बार्डर पर आंदोलनरत किसान अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं। इन बलिदानी किसानों की स्मृति में 20 दिसम्बर को श्रद्धांजलि दिवस की तैयारी पूरे देश में हो रही है। इसी कड़ी में 20 दिसम्बर को धरना स्थल पर ही शहीदी किसानों के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा।