कोविड-19 की चपेट में आने के बाद डिस्चार्ज होने वाले मरीजों में कई तरह के साइड इफैक्ट देखे जा रहे हैं। सिम्स की पोस्ट कोविड ओपीडी में एक से 19 दिसंबर तक करीब 80 से ज्यादा मरीज पहुंचे हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज सीने में दर्द, सांस फूलने और खांसी की समस्या के पहुंच रहे हैं। इसके अलावा घबराहट, बेचैनी और कमजोरी की परेशानियों से पीड़ित भी सिम्स पहुंचे हैं। चलने में परेशानी तो किसी का शुगर लेवल अचानक बढ़ गया है। ऐसे मरीज भी सिम्स की पोस्ट कोविड ओपीडी में आए हैं। सिम्स अधीक्षक डॉक्टर पुनीत भारद्वाज का कहना है कि पोस्ट कोविड ओपीडी में आने वाले मरीजों में 70% लोगों को कोरोना से ठीक होने के बाद भी सीने में दर्द, सांस फूलने और खांसी की समस्या आ रही है। थोड़ी ही चलने या काम करने में इन मरीजों की सांस फूलने लग रही है। जिन्हें हम अपने हिसाब से दवाइयां देने के साथ प्राणायाम करने की सलाह दे रहे हैं। इसके अलावा घबराहट, बेचैनी और कमजोरी की समस्या के पीड़ित भी आ रहे हैं। अधीक्षक ने बताया कि कुछ सीमित समय के बाद यह अस्थायी समस्याएं खुद ठीक हो रही है। कई मरीज ऐसे भी थे, जिनके फेफड़े काफी क्षतिग्रस्त हो गए थे, लेकिन वे पहले से अब ठीक हैं।
थोड़ा भी चलो तो फूलने लगी सांस
मस्तूरी के डगनिया निवासी 61 वर्षीय बुजुर्ग सितंबर में कोरोना संक्रमित हुए थे। करीब 17 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। फिर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो सांस फूलने लगी। चलने-फिरने में परेशानी आने लगी। चार कदम चलने पर ही वे थक जाते थे। उन्होंने योगा, कसरत और कुछ अन्य व्यायाम कर खुद को रिकवर करने की कोशिश की। लगातार सांस फूलने की परेशानी का इलाज कराने वे पोस्ट कोविड ओपीडी पहुंचे।
अब शरीर में हमेशा धकान सी रहती है
यदुनंदन नगर तिफरा में रहने वाले 34 साल के एक व्यक्ति दो माह पूर्व कोरोना की चपेट में आए थे। उन्होंने होम आइसोलेशन में रहकर वायरस को हरा तो दिया लेकिन वर्तमान में उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। वे बताते हैं कि थोड़ा सी भी मेहनत का काम करो तो थकान महसूस होने लगती है। इधर चांटीडीह में रहने वाले 52 वर्षीय एक बुजुर्ग को सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो रही थी। लेकिन अब पहले से आराम है।
कोरोना की चपेट में आने के बाद से हुई परेशानी
कोटा निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हुआ था। पहले उन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं थी। कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें जब पहली बार सांस लेने में तकलीफ हुई तो उन्होंने इसे सामान्य समझा, लेकिन फिर यह समस्या हमेशा महसूस होने लगी तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया, अब पहले से ठीक हैं।
अक्सर हाथ, पैर में दर्द की समस्या
कोनी में रहनी वाली 53 वर्षीय महिला को 23 जुलाई को सांस लेने में तकलीफ हुई। पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया। स्वस्थ होने पर 14 दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन घर जाने कुछ दिन बाद उनके हाथ-पैर में काफी दर्द होने लगा। उन्होंने पहले दर्द की दवाइयां खाई लेकिन आराम नहीं हुआ तो डॉक्टर को दिखाया। अब वह पहले से ठीक हैं, लेकिन दवाइयां चल रही हैं।
फेफड़े में समस्या, खांसी बड़ी परेशानी
तखतपुर निवासी 42 वर्षीय एक व्यक्ति को कोविड संक्रमण ने ऐसा घेरा कि फेफड़े ज्यादा प्रभावित हुए। एक महीना उन्हें अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। निगेटिव रिपोर्ट के बाद डिस्चार्ज कर दिया पर उन्हें चलने में परेशानी होने लगी। डिस्चार्ज के बाद भी डॉक्टर को दिखाने आते रहे। अब वे पहले से स्वस्थ हैं। इधर अन्नपूर्णा कालोनी निवासी 41 वर्षीय मरीज को सितंबर में कोरोना हुआ था। डिस्चार्ज होने के बाद भी पहले हल्की-हल्की खांसी आई। फिर यह समस्या बढ़ी तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। डॉक्टर को दिखाया तो अब आराम पहले से काफी सुधार है।
कमजोरी रहती है, अब पहले जैसा उत्साह नहीं रहा
नूतन कालोनी में रहने वाले एक 33 वर्षीय युवक ने बताया कि कोरोना से चपेट में आने के पहले वे एकदम स्वस्थ थे। लेकिन कोविड से तो ठीक हो गए लेकिन शरीर में कमजोरी और कभी-कभी बेचैनी होती है। अब पहले जैसा उत्साह नहीं रहा।