छत्तीसगढ़ में केवल 193 दिन में कोरोना से मौतों का आंकड़ा सोमवार को 3010 हो गया है। प्रदेश में कोरोना से पहली मौत राजधानी रायपुर में हुई थी। अब तक अक्टूबर में सबसे ज्यादा 1144 व नवंबर में 760 माैत हुई। दिसंबर के 7 दिनों में भी 139 से ज्यादा मौत हुई है। परेशान करने वाली बात ये है कि कई बड़े राज्यों जैसे राजस्थान, ओडिशा, मध्यप्रदेश व बिहार से कोरोना मौतों के मामले में छत्तीसगढ़ आगे निकल गया है। राज्यों के साथ-साथ कुल मरीजों से तुलना की जाए, तब भी छत्तीसगढ़ में मौतों के आंकड़े डराने वाले हैं। तेलंगाना में छत्तीसगढ़ से ज्यादा मरीज होने के बावजूद वहां केवल 1474 मौत हुई है। यही नहीं, पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, झारखंड में मरीजों की संख्या प्रदेश से लगातार कम होती जा रही है। ओडिशा में छत्तीसगढ़ से ज्यादा मरीज हैं, लेकिन मौतें कम हैं। महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में ही छत्तीसगढ़ से मरीज भी ज्यादा हैं और मौतें भी।
प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर भारी
- 29 मई - पहली मौत
- 19 जून - दसवीं
- 29 जुलाई - पचास
- 11 अगस्त - सौ
- 11 सितंबर - पांच सौ
- 2 अक्टूबर - हजार
- 19 अक्टूबर - डेढ़ हजार
- 30 अक्टूबर - दो हजार
- 11 नवंबर - ढ़ाई हजार
- 07 दिसंबर - तीन हजार
मौतों की वजह देरी से जांच
नेहरू मेडिकल कॉलेज में ऑर्थोपीडिक विभाग के एचओडी डॉ. एस फुलझेले व कोरोना नोडल टीम में शामिल डॉ. संतोष पटेल के अनुसार कहीं भी मौत हुई हो, इसमें लोगों की लापरवाही ज्यादा दिखी। डेथ ऑडिट में 70 फीसदी से ज्यादा मौत का कारण जांच में देरी के कारण इलाज देरी से शुरू होना है। कई लोग लक्षण दिखने के 10 से 15 दिनों तक जांच नहीं कराई। कुछ ने गंभीर लक्षण के बावजूद अस्पताल के बजाय घर में इलाज करवाया और नहीं बचे।
हजार के बाद मौतें तेजी से बढ़ीं
रायपुर एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर ने बताया कि पूरी दुनिया में जो ट्रेंड अब तक रहा है, वह ये है कि हजार के बाद मौत की रफ्तार बेकाबू हो जाती है। यानी हजार से दो हजार या दो से तीन हजार मौतें होने में ज्यादा अंतर नहीं रहता। फिर तीन से आंकड़ा चार या पांच हजार भी जल्द हो सकता है। इस लिहाज से देखें तो तीन हजार मृत्यु के बाद अब और ज्यादा सजग होने की जरूरत है।
मरीज भी कम और मौतें भी
कोरोना कोर कमेटी सदस्य आरके पंडा ने बताया कि जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश में काेरोना मरीजों की संख्या कम है। यहां केवल 0.95 फीसदी जनसंख्या कोरोना से संक्रमित है। दूसरे राज्यों में यह ज्यादा है। मृत्युदर भी राष्ट्रीय दर से 0.3 फीसदी कम है। इस दर को और कम कर सकते हैं, अगर लोग जल्दी जांच करवा लें। लक्षण दिखते ही जांच कराने से फायदा मरीजों का ही होगा।
भास्कर एक्सपर्ट - डॉ. नितिन एम नागरकर और आरके पंडा