महिला बाल विकास संचालनालय ने बिलासपुर, रायपुर समेत सभी 27 जिलों के कलेक्टर को चिट्ठी लिखी है। इन्होंने सभी कलेक्टरों से कहा है कि उनके यहां आंगनबाड़ियों में भेजे गए खिलौनों की सक्षम लैब से जांच कराई जाए। नतीजे अमानक मिलते हैं को उन्हें तत्काल एजेंसियों को वापस कराए जाएं। असिस्टेंट डायरेक्टर ने स्पष्ट कर दिया है कि वे बच्चों के खिलौनों की हर स्तर पर जांच कराएंगे। यदि यह मापदंडों के अनुरूप नहीं मिले तो आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
दैनिक भास्कर की खबर के बाद अफसरों के बीच यह चिट्ठी चली है। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही इस बात का खुलासा किया गया कि महिला बाल विकास संचालनालय ने सीएसआईडीसी से नौ करोड़ में जो खिलौने छत्तीसगढ़ के पांच हजार आंगनबाड़ियों को भेजे हैं उसकी जांजगीर के पॉलिटेक्निक कॉलेज में जांच करवाई गई है। यह जांच खुद महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों से करवाई है। जिसमें यह बात सामने आई कि यह अमानक हैं। इसकी जानकारी रायपुर के अफसरों तक पहुंचाई गई और इसके बाद ही खिलौनों की गुणवत्ता को लेकर संचालनालय और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के बीच पत्राचार किया जा रहा है। असिस्टेंट डायरेक्टर सुनील शुक्ला का कहना है कि उनके यहां सभी कलेक्टरों को इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आने वाले दिनों में मान्यता प्राप्त लैब से खिलौनों की जांच करवाई जाएगी।
मिली जानकारी थी, शुरू हुई पड़ताल
महिला बाल विकास संचालनालय के अधिकारियों के मुताबिक उन्हें खिलौनों के अमानक रिपोर्ट की जानकारी मिली थी। इसके बाद ही उन्होंने जांजगीर में कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारियों से पत्राचार करना शुरू कर दिया। उनसे मामले में विस्तार से जानकारी भेजने को कहा गया। इसका जवाब भी जांजगीर से उन्हें मिल गया है।
पत्राचार किया गया है : हमने आंगनबाड़ियों में खिलौनों की सप्लाई के मामले में सभी कलेक्टर को पत्राचार किया है। उन्हें खिलौनों को सक्षम लैब से जांच कराने की बात कही गई है। खिलौनों को बच्चों को देने से पहले इसकी जांच होगी। खिलौनों के अमानक रिपोर्ट मिलने पर इन्हें संबंधित एजेंसियों को वापस भेजा जाएगा।
-सुनील शुक्ला, असिस्टेंट डायरेक्टर, महिला बाल विकास संचालनालय
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