राज्य के सभी थानों में अब 24 घंटे के भीतर एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन की जा रही है। इनमें 80% थाने ऐसे हैं, जहां ऑनलाइन एफआईआर दर्ज की जा रही है। इसमें देश के टॉप-10 राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है। थानों में रोजनामचा भी ऑनलाइन लिखा जा रहा है। जल्द ही चौकियों को भी कम्प्यूटर देने की योजना है, जिससे रोजनामचा और क्राइम डायरी ऑनलाइन लिखे जा सकें और थाने आने की जरूरत न हो। सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत करीब 80% थानों को मल्टी प्रोटोकाल लेवल स्विचिंग (एमपीएलएस) से जोड़ा जा चुका है। इन थानों में अब ऑनलाइन एफआईआर दर्ज किए जाते हैं। हालांकि 20% थाने ऐसे हैं, जहां नेटवर्क की समस्या रहती है, इसलिए वहां सिस्टम में एफआईआर दर्ज किए जाते हैं, जो नेटवर्क मिलने पर सिंक होकर ऑनलाइन अपलोड हो जाते हैं। इसके लिए साफ्टवेयर डिफाइन्ड वाइड एरिया नेटवर्क (एसडी वैन) की मदद ली जा रही है।
इसमें एक साथ दो कंपनियों के नेटवर्क को मिलाकर कमजोर नेटवर्क की समस्या को दूर किया जा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 72 घंटे में एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं, जिससे सभी पक्षों को यह सूचना मिल सके कि पुलिस ने क्या कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ में सभी थानों को 24 घंटे का लक्ष्य दिया गया है।
राज्य बनने के बाद से सभी एफआईआर डिजिटाइज
सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद 2012 से ऑनलाइन एफआईआर की शुरुआत हुई। हालांकि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कंपनी ने 2005 से लेकर 2012 तक एफआईआर की कॉपी अपलोड की गई। स्पेशल डीजी आरके विज ने विशेष पहल करते हुए स्थानीय स्तर पर सभी थानाें के ही स्टाफ को पुराने रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की जिम्मेदारी दी। यह काम लगभग पूरा हो चुका है। इसे स्टेट डाटा सेंटर के जरिए अब पोर्टल में अपलोड किया जाएगा। इसके बाद राज्य बनने के बाद किसी भी थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी देख सकेंगे।
6 जिलों को सीसीटीएनएस के लिए पुरस्कार भी
पुलिस मुख्यालय द्वारा 6 जिलों को सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत बेहतर काम करने के लिए पुरस्कृत किया गया है। इनमें बस्तर, धमतरी, रायपुर, बलौदाबाजार, मुंगेली और रायगढ़ शामिल हैं।
"सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहरी थाने ही नहीं, बल्कि बस्तर के भी कई थानों में ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा है। बाकी में 24 घंटे के भीतर एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन की जा रही है। जहां नेटवर्क की दिक्कत है, वहां अपग्रेड करने की कोशिश कर रहे हैं।"
-आरके विज, स्पेशल डीजी