19 मेडिकल छात्रों के निवास प्रमाणपत्र अन्य राज्यों के... मेरिट वाले 6 ने दाखिला नहीं लिया, एक सीट छोड़ गया...

19 मेडिकल छात्रों के निवास प्रमाणपत्र अन्य राज्यों के... मेरिट वाले 6 ने दाखिला नहीं लिया, एक सीट छोड़ गया...

Avinash

नेशनल इलिजबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (नीट) के फार्म में छात्रों ने खुद को जिस राज्य का निवासी बताया, चाहे डोमिसाइल सर्टिफिकेट कहीं का भी हो, वो वहीं का निवासी माना जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद डीएमई कार्यालय में खलबली मची हुई है।
मंगलवार को दिनभर डीएमई डॉ. आरके सिंह व दूसरे अधिकारियों ने मंथन किया। यह निर्णय हुआ कि बुधवार को बिलासपुर जाकर महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से मिलकर कानूनी राय ली जाए। अधिकारियाें के अनुसार हाईकोर्ट ने यह तो कहा है कि नीट में जो राज्य छात्रों ने भरे है, उसे निवास माना जाए। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जो एडमिशन हुए हैं, उसे निरस्त किया जाए या नहीं। दूसरी ओर डोमिसाइल का मामला उछलने के बाद प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों के आवंटन के बाद भी 6 छात्र बिना एडमिशन लिए बगैर चले गए। जबकि अंबिकापुर कॉलेज में एक छात्र ने एडमिशन के बाद भी सीट छोड़ दिया। अभी 12 छात्र ऐसे हैं, जिनके पास दो से तीन राज्यों के निवास प्रमाणपत्र हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी है। नेहरू मेडिकल कॉलेज से तीन छात्रों के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि इन छात्रों ने जरूर दूसरे राज्यों का नाम भरा है, लेकिन उनके पास छग का निवास प्रमाणपत्र भी है। उनके परिजन लंबे समय से छत्तीसगढ़ में रहे हैं। हालांकि इस पर कार्रवाई डीएमई कार्यालय को करना है। महाधिवक्ता से मिलने के बाद दो से तीन राज्यों के निवास प्रमाणपत्र रखने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

नए सिरे से नामांकन की मांग की
आईएमए के पदाधिकारियों व पालकों ने मंगलवार को दोपहर में डीएमई से मिलकर नई मेरिट सूची बनाकर नए सिरे से एडमिशन की मांग की है। आईएमए के डॉ. महेश सिन्हा व डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में लिखा है कि नीट के प्रवेश फॉर्म में दी गई मूल राज्य की जानकारी को ही नीट मेरिट लिस्ट के चयनित विद्यार्थी के राज्य का चयन आधार माना जाए। फिर से मेरिट लिस्ट बनाकर नीट की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।

"एक से ज्यादा राज्यों के निवास प्रमाणपत्र वाले 19 छात्रों की पहचान हुई है। इनमें 6 छात्र एडमिशन लिए बिना चले गए। डीएमई की महाधिवक्ता से बातचीत के बाद कोई निर्णय होगा।"
-डॉ. जितेंद्र तिवारी, प्रवक्ता डीएमई कार्यालय



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