स्मार्ट सिटी ने करीब तीन साल पहले सप्रे शाला मैदान पर 5 करोड़ रुपए खर्च कर इसे संवारा और हेल्दी हार्ट प्रोजेक्ट के तहत कई निर्माण किए। इसमें पाथ-वे से लेकर दर्शक दीर्घा तक शामिल है। लेकिन इन सभी को तोड़ दिया गया है। वजह ये है कि यहां स्मार्ट सिटी 1 करोड़ का नया सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट लाया जा रहा है। इसमें फ्लड लाइट्स और घास के साथ छोटी सी दर्शक दीर्घा फिर बनाई जाने वाली है। दिलचस्प बात यह भी है कि तोड़फोड़ की जा चुकी है। नया काम करने के लिए भी एजेंसी को एक माह पहले वर्क आर्डर जारी कर दिया गया, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ है।
बीते चार साल में स्मार्ट सिटी की कार्यप्रणाली का यह न केवल उदाहरण है, बल्कि शहर में कई और काम भी हैं जिन पर दो-तीन साल पहले बड़ी राशि खर्च की गई और फिर वहीं पर नई योजना बनाकर पिछले निर्माण गिरा दिए गए। जैसे, अनुपम गार्डन में करीब दो साल पहले स्मार्ट सिटी ने सौंदर्यीकरण का काम किया, अब वहां भी यूथ हब के प्रोजेक्ट के नाम एक बार फिर तोड़फोड़ होगी। हेल्दी हार्ट योजना में स्मार्ट सिटी ने पूरे देश में इकलौती पहल का दावा तक किया था। पांच करोड़ खर्च करने के बाद स्मार्ट सिटी की पूरी योजना कुछ ही अंतराल बाद इसलिए फ्लाप हो गई क्योंकि हेल्दी हार्ट पाथ-वे पर लोगों ने चलना ही पसंद नहीं किया। यही नहीं, सौंदर्यीकरण इतना बेतरतीब हुआ कि आसपास के लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। ओपन जिम और पाथ-वे समेत सौंदर्यीकरण से जुड़ा कई साजो-सामान भी कबाड़ हो गया। अब वहां नया प्लान अा गया। यहां एक करोड़ की लागत से मैदान में फ्लड लाइट और घास समेत सौंदर्यीकरण के काम नए सिरे से होंगे। स्मार्ट सिटी के इस प्रोजेक्ट को लेकर पहले कानूनी विवाद की स्थिति बन गई थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधियों ने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला था।
एक माह से ज्यादा पिछड़ गया है ये प्रोजेक्ट
इससे अब ये प्रोजेक्ट पूरे पूरे एक महीने से ज्यादा वक्त के लिए पिछड़ गया है। स्मार्ट सिटी मिशन की केंद्रीय शहरी मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक स्मार्ट सिटी के किसी भी प्रोजेक्ट में वर्क ऑर्डर लेने के बाद कोई भी एजेंसी एक माह से अधिक की देरी करे तो उससे फाइन वसूल किया जा सकता है। कोरोना काल में स्मार्ट सिटी के आधा दर्जन से ज्यादा कामों में एजेंसियों ने वर्क ऑर्डर तो ले लिया लेकिन काम शुरु नहीं किया। इसमें तेलीबांधा श्यामनगर का 5 करोड़ का स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम, 10 करोड़ का शास्त्री बाजार जैसे प्रोजेक्ट भी हैं। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि एजेंसी पर दबाव बनाने में स्मार्ट सिटी प्रबंधन हमेशा कमजोर साबित हो रहा है। जिसके चलते 16 करोड़ का जवाहर बाजार, 23 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग जैसे प्रोजेक्ट अब भी अधूरे हैं। 5 करोड़ रुपए की स्मार्ट कोतवाली का काम अब भी चल ही रहा है।
दो दशक में आधा दर्जन से ज्यादा प्लान करोड़ों खर्च, सब ध्वस्त
स्मार्ट सिटी के अस्तित्व में आने से पहले नगर निगम ने भी यहां कई सारे प्रयोग किए। कभी यहां सौंदर्यीकरण किया गया तो कभी मैदान को संवारने का काम। आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे करोड़ों रुपए के प्लान पहले भी चौपट हो चुके हैं। इतना ही नहीं सप्रे मैदान के सामने स्मार्ट सिटी ने इस साल की शुरूआत में स्मार्ट पार्किंग, शेयरिंग साइकिल और ई रिक्शा साइकिल चार्जिंग जैसे प्रोजेक्ट लांच करने की योजना भी बनाई, लेकिन बाद में इनमें से भी कोई प्लान परवान नहीं चढ़ सका। उसके बाद इसे दोबारा तोड़कर नए सिरे से बनाने का ये प्लान लाया गया। स्मार्ट सिटी का दावा कर रही है कि यहां इंटरनेशनल लेवल का ग्राउंड बनाया जाएगा। स्मार्ट सिटी ने इस साल शहर के पुराने खेल मैदानों को संवारने की एक बड़ी स्कीम भी बनाई है। जिसमें शहर के पुराने मैदानों को चिन्हित करके, स्पोर्ट्स काम्पलेक्स बनाया जाना है। इस पर पचास करोड़ तक खर्च होंगे। इसके पहले सुभाष स्टेडियम का री-डेवलपमेंट भी स्मार्ट सिटी ने किया, जिसके परिसर में बनाई गई दुकानें अब तक खाली पड़ी हैं।
20 साल में आधा दर्जन योजनाएं, करोड़ों खर्च
40 करोड़ के प्लान का हिस्सा : स्मार्ट सिटी ने सप्रे शाला मैदान और बूढ़ा तालाब के लिए करीब 40 करोड़ की एक बड़ी कार्ययोजना बनाई है। जिसके तहत बूढ़ा तालाब के पहले चरण का काम पिछले महीने में पूरा हुआ है। बूढ़ातालाब के साथ साथ सप्रे शाला मैदान का काम भी पूरा होना था। बूढ़ा तालाब में अब दूसरे चरण के काम तालाब के दूसरे हिस्से को री डेवलप किया जाना है। इसके साथ ही यहां 18 करोड़ का एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाना है।