
धनतेरस त्रयोदशी का व्रत है, यह शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसे प्रदोष भी कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष कहलाता है। वहीं शुक्रवार को शाम 6 बजे के बाद धनतेरस की पूजा करना शास्त्रों की दृष्टि से सही होगा। इस दिन प्रीति योग है जिसमें खरीदारी करने से घर में सुख और समृद्ध आती है। गुरुवार को भी बाजारों में हर तरह के सामानों की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कोई भी तिथि सूर्याेदय या सूर्यास्त के बाद यदि सोलह दंड यानी 384 सेकेंड तक होती है, तो उस दिन या उस दिन शाम को वही तिथि मनाई जाती है। इस तरह से शुक्रवार शाम सूर्यास्त का समय 5.17 बजे है। वहीं त्रयोदशी 5.59 बजे तक है, जो कि 384 सेकेंड से ज्यादा है। इसलिए शुक्रवार को धनतेरस मनाना अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
- सुबह 6.14 से 7.37 तक चर
- सुबह 7.37 से 9.01 तक लाभ
- सुबह 9.01 से 10.24 तक अमृत
- सुबह 11.47 से 1.11 तक शुभ
- दोपहर 3.58 से 5.21 तक चर
- रात 8.45 से 10.11 तक लाभ
नरक चतुर्दशी
शनिवार को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस है। चंद्रोदय के समय सुबह 4.58 बजे उबटन लगाकर स्नान करने से जीवन में आ रही बाधाओं का शमन होगा। इस दिन प्रीति योग होने से यह अत्यंत शुभ हो गया है। साथ ही इस दिन दोपहर 2.17 बजे तक रूप चौदस होगा। उसके बाद दीपावली होगी और शाम को लक्ष्मी पूजा की जाएगी।
"शुक्रवार को सूर्य ढलने का समय शाम 5.17 बजे है। इसी दिन त्रयोदशी 5.59 बजे तक है, जो कि 16 दंड यानी 384 सेकेंड से ज्यादा की है। इसके चलते शुक्रवार को धनतेरस मनाया सर्वश्रेष्ठ होगा।"
- ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे
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