राज्य सरकार आज से शिक्षाकर्मियों का पूर्ण संविलयन कर रही है। इसका लाभ 872 शिक्षाकर्मियों को मिलेगा। अब स्कूलों में पदस्थ ये पंचायत के शिक्षक शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षक कहलाएंगे। शिक्षाकर्मियों में इसको लेकर खुशी हैं, वहीं ऐसे शिक्षाकर्मियों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं जो जोड़-जुगाड़ के दम पर अपने पसंदीदा स्कूलों में अटैच हैं।
संविलयन के बाद हर संवर्ग के शिक्षकों का वेतन डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगा, अब चूंकि वेतन शिक्षा विभाग से जारी होगा तो शिक्षकों को भी जुगाड़ की व्यवस्था पर काम करने की मनाही होगी। शिक्षा विभाग द्वारा वेतन स्कूलों में शिक्षकों के मंजूर पद के अनुसार ही जारी होगा।
ऐसे में कई शिक्षक ऐसे हैं जो कि अतिशेष शिक्षकों की श्रेणी में आते हैं। इन अतिशेष शिक्षकों को अपने मूल पदस्थापना पर जाना होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार बदलने के पहले ही साल में जिले में व्यापक पैमाने पर शिक्षकों को फेरबदल हुआ था।
अधिकांश शिक्षक अपनी पसंदीदा स्कूल में चले आए थे। वर्तमान में स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना अलग-अलग है।
शहर से सटे हुए स्कूलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक हैं जो अतिशेष हैं और सुदूर गांव के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। कुछ स्कूल एकल शिक्षक तो कुछ दो शिक्षकों के भरोसे भी चल रहे हैं।
पूर्ण संविलयन के बाद इसमें सुधार आने की गुंजाइश बनी है। बहरहाल नवंबर में संविलियन का लाभ मिलने से उनका वेतन भी बढ़ा है। इसका लाभ पाने वाले शिक्षकों की दिवाली खुशनुमा हो गई है।
6 साल की वेतनवृद्धि का लाभ मांगेंगे पुराने शिक्षक
शालेय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनय सिंह ने कहा कि सरकार ने अपना वादा पूरा किया है। अब पुराने शिक्षक जिनका पहले संविलयन हो चुका है वे भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। विनय सिंह ने बताया कि पूर्व सरकार के निर्णय के अनुसार सीनियर शिक्षकों का संविलयन 8 साल की सेवा पूरी करने के बाद किया गया था। जबकि अभी दो साल की सेवा पूरी करने वाले सभी शिक्षकों को संविलयन का लाभ दे दिया गया है।
ऐसे में पुराने शिक्षक ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसलिए सरकार पुराने शिक्षकों को 6 साल पहले से संविलयन मानकर 6 साल की वेतनवृद्धि का लाभ दे और उन शिक्षकों को सीनियारिटी का भी लाभ मिले। इसके लिए शालेय शिक्षक संघ प्रयास करेगा।
लंबे समय तक संघर्ष का नतीजा
शिक्षाकर्मियों ने कहा कई वर्षो से आंदोलन, प्रदर्शन, हड़ताल, निलंबन, बर्खास्तगी का दंश झेलने के बाद यह सौगात मिल रही है। पूर्व में शासन में आठ वर्ष सेवा पर संविलियन का निर्णय हुआ है।
इससे कई शिक्षाकर्मियों के मन में अंसतोष था। कांग्रेस ने दो वर्ष में संविलियन की बात जनघोषणा पत्र में समाहित की। कांग्रेस ने वादा अनुरूप दो साल के आधार पर एक नवंबर से किए जाने का आदेश भी क्रियाशील है।