छत्तीसगढ़ के निजी काॅलेजों से कृषि संकाय में डिग्री लेने वालों को पीजी में प्रवेश से रोक रहे अन्य राज्यों के संस्थान

छत्तीसगढ़ के निजी काॅलेजों से कृषि संकाय में डिग्री लेने वालों को पीजी में प्रवेश से रोक रहे अन्य राज्यों के संस्थान

Avinash

सुधीर उपाध्याय | प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा कृषि कालेजों से डिग्री लेकर बाहर पढ़ाई करने के लिए गए छात्रों को वहां के कालेजों ने ये कहकर झटका दे दिया है कि वे छत्तीसगढ़ के जिन कालेजों की डिग्री लेकर आए हैं, उन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) से मान्यता नहीं है, इसलिए वहां की डिग्री के आधार पर वे प्रवेश नहीं देंगे। इसके बाद छात्रों में ये भय भी पैदा हो गया है कि यहां की डिग्री के आधार पर उन्हें राज्य के बाहर सरकारी जाॅब मिल पाएगी या नहीं। छत्तीसगढ़ में कृषि विवि से जुड़े करीब 31 सरकारी और 15 प्राइवेट कॉलेज हैं। इनमें से अधिकांश प्राइवेट काॅलेजों को आईसीएआर से एक्रीडिटेशन नहीं मिला है। दिलचस्प ये है कि कृषि विवि ने मौजूदा संकट के बावजूद इन कालेजों में इस साल भी प्रवेश की अनुमति दे दी है। यही नहीं, यहां सीट भी आवंटित कर दी गईं। भास्कर की पड़ताल में पता चला कि यह शिकायत दो-तीन साल से मिल रही है, लेकिन इस बार ज्यादा छात्रों का प्रवेश रुका, इसलिए मामला खुला है। पिछले कुछ बरसों में ऐसी शिकायतें विवि को भी मिली, छात्र पहले ही बता चुके थे कि उन्हें दूसरे राज्य के पीजी कॉलेजों में प्रवेश से सिर्फ इसलिए मना किया गया।

जबलपुर में नहीं मिला प्रवेश
राजनांदगांव के एक निजी एग्रीकल्चर कॉलेज से आकाश ने बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री 2019 में ली। फिर पीजी में एडमिशन के लिए जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि (जेएनकेवी) की प्रवेश परीक्षा दी। परीक्षा में अच्छे नंबर मिले, लेकिन विवि के अफसरों ने दाखिला देने से इसलिए मना कर दिया कि प्राइवेट काॅलेज की डिग्री है, जिसका आईसीएआर से एक्रीडिटेशन नहीं है। ऐसा उसके कई दोस्तों के साथ भी हुआ।

भिलाई के निजी एग्रीकल्चर कॉलेज से ललित ने 2019 में बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की। इसके बाद एमएससी करने से जबलपुर के जेएनकेवी के पीजी पाठयक्रम में प्रवेश लिया। लेकिन वहां यह कहते हुए मना किया गया कि जिन कॉलेज के पास आईसीएआर से एक्रीडिटेशन नहीं है वहां से पास छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बाद में इस मामले की शिकायत इंदिरा गांधी कृषि विवि, रायपुर में भी की गई।

कृषि विवि की भी गाइडलाइन
मान्यता को लेकर कृषि विवि अपनी ही गाइडलाइन का पालन नहीं करता। मान्यता के लिए सौ नंबर का स्कोर कार्ड है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर व अन्य सुविधाओं के लिए निर्धारित हैं। मान्यता के लिए कम से कम 50 नंबर लाने जरूरी हैं। कई प्राइवेट कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें इससे कम नंबर मिलते हैं, फिर भी उन्हें प्रवेश अनुमति मिल जाती है। कोरोना के कारण इस साल प्राइवेट कॉलेजों का निरीक्षण नहीं हुआ। इसलिए कॉलेजों से जानकारी मंगाई गई। इसमें भी कई कॉलेज मान्यता के लिए जरूरी अंक नहीं जुटा सके। फिर भी अनुमति दी गई। इसलिए सवाल उठ रहे हैं।

"छात्रों को डिग्री कृषि विवि से मिलती है, काॅलेज चाहे प्राइवेट हो या सरकारी। इस डिग्री को कोई नहीं नकार सकता। यहां से डिग्री लेने वालोे छात्रों के लिए नौकरी में भी कोई समस्या नहीं है। जिन कॉलेजों का एक्रीडेशन नहीं हुआ है, उनके छात्रों को दूसरे राज्यों में पीजी के प्रवेश में दिक्कत आ रही है। इसका हल निकालना होगा।"
-डाॅ. एमपी ठाकुर, निदेशक शिक्षण-कृषि विवि

कॉलेजों को आईसीएआर एक्रीडेशन कराने के लिए कहा है : कुलपति
"कृषि विवि से जुड़े जो भी कॉलेज हैं वहां से पास छात्रों की डिग्री पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। क्योंकि, डिग्री विवि से मिलती है। इसकी मदद से छात्र नौकरी भी प्राप्त कर रहे हैं। आईसीएआर कॉलेजों को मान्यता प्रदान करती है। इसके अपने मापदंड हैं। राज्य के बाहर के कुछ विवि पीजी में नॉन एक्रीडिटेड कॉलेज के छात्रों को प्रवेश नहीं दे रहे, ऐसी शिकायतें मिली थीं। इसे लेकर यहां भी कॉलेजों को आईसीएआर से एक्रीडिटेशन कराने के लिए कहा है। इसके लिए कुछ कॉलेजों ने आवेदन भी किया है। संभावना है आने वाले कुछ महीने में कई अन्य कॉलेजों के पास एक्रीडिटेशन होगा। अभी 11 सरकारी कॉलेजों को आईसीएआर से मान्यता प्राप्त है।"
-डॉ. एसके पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विवि



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