@रायपुर (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।
इस साल छत्तीसगढ़ के 15000 से ज्यादा युवाओं को हुनरमंद बनने के लिए ट्रेनिंग नहीं मिलेगी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयूजीकेवाई) के तहत ट्रेनिंग देने वाली एजेंसियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। कोरोना महामारी में सेंटर चलाने से इन पीआईए (प्रिंसिपल इंप्लीटेशन एजेंसी) ने 15000 से ज्यादा टार्गेट सरेंडर कर दिए हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह ये सामने आई है कि उनके सेंटर किराये की बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं। जिसका किराया भारी भरकम आ रहा है।
कोरोना महामारी के कारण उन्होंने मार्च 2020 से किराया जमा नहीं किया है। अब आने वाले समय में इसे संचालित करने के लिए भी सक्षम नहीं दिख रहे हैं। इस स्थिति में उन्होंने सरकार को यह टार्गेट लौटा दिया है। इसका सीधा असर युवाओं को 53 अलग-अलग सेक्टर में 555 ट्रेडों में मिलने वाली ट्रेनिंग पर पड़ेगा। इस साल प्रदेश में 40 हजार ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग देकर नौकरी लगवाने का लक्ष्य था। अब इसमें से 15000 कम हो जाएंगे। इस संबंध में राज्य के नोडल अफसर ने सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। इन सेंटरों को दोबारा कैसे शुरू करें, इस दिशा में प्लानिंग की जा रही है। फिलहाल ये तो तय हो गया कि इस साल प्रदेश के 15000 युवाओं को हुनरमंद बनने का अवसर नहीं मिलेगा।
वर्ष | प्रशिक्षित | रोजगार |
2015-16 | 236471 | 109512 |
2016-17 | 162586 | 147883 |
2017-18 | 131527 | 75787 |
2018-19 | 241080 | 138248 |
2019-20 | 193704 | 125668 |
(2019-20 के आंकड़े जनवरी 2020 तक सोर्स: ग्रामीण विकास विभाग)
क्या है योजना: ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग के साथ-साथ रोजगार की गारंटी भी
केंद्र सरकार की इस योजना का मूल उद्देश्य है ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें नौकरी के लिए तैयार करना। 53 सेक्टर के 555 ट्रेडों की 3 से 6 महीने की आवासीय ट्रेनिंग होती है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के 67% रिजर्वेशन एसटी, एससी और अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं के लिए है। बाकी 33% ओबीसी व सामान्य वर्ग के युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती है। एक कैंडिडेट के पीछे सेंटर को एक लाख रुपए तक मिलता है। इसमें सेंटर को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ उसकी नौकरी भी लगवानी होती है। यह ग्रामीण युवाओं के लिए महत्वपूर्ण योजना है मगर कोरोनाकाल के कारण प्रदेश में ही 15 हजार युवाओं का कौशल विकास नहीं होगा।
इन सेक्टरों में युवाओं को बनाया जाता है हुनरमंद
एविशन-एयरोस्पेस, एजीआर-कृषि, मोटर वाहन, परिधान, व्यापार-वाणिज्य, कैपिटल गुड्स, निर्माण, घरेलू कामगार, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर-सामान, खाद्य प्रसंस्कारण व संरक्षण, फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, हथकरघा व हस्तशिल्प, हेल्थ केयर, संचार, आयरन और स्टील, जीवन विज्ञान, इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक एंड सप्लाई चेंज मैनेजमेंट, खनन, मीडिया और मनोरंजन, दूरसंचार समेत अन्य सेक्टर में ट्रेनिंग दी जाती है।
जानिए इसके पीछे की वजह क्या
कोरोना काल में आर्थिक तंगी: प्रदेशभर में 112 पीआई है। इनमें से 20 से ज्यादा ने टार्गेट सरेंडर किया है। ज्यादातर अपना सेंटर किराये की बिल्डिंग में संचालित कर रहे। कोरोनाकाल में आर्थिक तंगी है। सेंटर का किराया तक दे नहीं पा रहे हैं। यही नहीं, 500 से ज्यादा सेंटर स्टाफ को तीन से चार महीने की सैलरी तक नहीं दे पाए। उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया गया है।
प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर पाएंगे: महामारी के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे सेंटर कोविड-19 के दौरान सेंटर चलाने के लिए जरूरी प्रोटोकाल का पालन नहीं कर पाएंगे। अब कुल अभ्यर्थियों में महज 30% को बुलाकर ट्रेनिंग देना है। इसलिए सेंटर संचालकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार देना प्रथम उद्देश्य है
"कोरोना महामारी के कारण सेंटरों ने टार्गेट सरेंडर कर दिए हैं। आने वाले समय में इसकी संख्या बढ़ सकती है। कुछ ने कोरोनाकाल के पहले ही टार्गेट सरेंडर किया है। इस कोरोनाकाल में हम युवाओं को बेहतर ट्रेनिंग देने के लिए सरकार से मार्गदर्शन मांग रहे हैं। ऑनलाइन मोड पर भी ट्रेनिंग शुरू कर सकें, इस दिशा में काम कर रहे हैं। युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार देना प्रथम उद्देश्य है।"
- नीलेश क्षीरसागर, एमडी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, छत्तीसगढ़