|ब्यूरो•बालोद|से✍️पीयूष साहू|
कोरोना के बढ़ते प्रभाव से जहां सभी भयग्रस्त है ऐसे समय में सम सामायिक विषय एवम ज्ञानवर्धक बातों का प्रसाद सन्त राम बालक दास जी के द्वारा पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ से रोज ऑनलाइन सत्संग में दिया जा रहा है यह ऑनलाइन सतसँग सीता रसोई वाट्सएप ग्रुप में प्रतिदिन सुबह 10 बजे से 11 बजे ओर दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक आयोजित होता है आज हमारी माताओं बहनों का विशेष निवेदन था की आज तीज पर्व की कथा सुनावें ओर इस व्रत की महिमा भी बताने की कृपा करें बाबा राम बालक दास जी ने बताया कि सबसे पहले तो हरतालिका तीज जो माताएं बहनें पूर्ण श्रद्धा से करती है वह पृथ्वी में चिरायु परिवार प्राप्त करती है तथा इसकी कथा सभी जानते हैं कि माता पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति हेतु तपस्या के लिए जब प्रस्थान किया तो उनकी सखी हरितालिका ने कहा कि मैं भी आपके साथ जाऊंगी और आपके तप में साधन बनूंगी माता पार्वती ने कहा कि मुझे भूखे रहना होगा तो हरतालिका ने कहा यदि आप तप करेंगे तो मैं भी करूंगी और माता पार्वती के साथ हरतालिका जाती हैं तपस्या में माता पार्वती व्रत निभाते हुए भगवान शिव की पूजा करती है!
भगवान शिव पार्वती को दर्शन लेते हैं माता पार्वती और शिव के विवाह की तैयारी होने लगती है माता पार्वती जब वापस अपने पितृगृह जाने के लिए प्रस्थान करने लगी तो हरतालिका की तरफ देखकर माता पार्वती द्रवित हो जाती हैं कहती हैं कि यदि आप नहीं होती तो मेरा व्रत पूर्ण नहीं होता मुझे भगवान शिव की प्राप्ति कैसे होती आप जो भी वरदान चाहे आज मांग ले हरतालिका बड़ी प्रसन्न हो जाती है कहा हे मां भगवती मुझे कुछ नहीं चाहिए आप मुझे अपने साथ कैलाश ले चलिए मैं आप का श्रृंगार करूंगी आप की पूजा की सामग्री एकत्रित करूंगी आपके साथ कैलाश में रहने का सौभाग्य मुझे आप दे माता पार्वती ने तथास्तु करके सदा सदा के लिए अपनी सखी के रूप में हरतालिका को स्वीकार किया उसके बाद भी माता पार्वती को संतोष नहीं होता उनको लगता है कि हरतालिका को मैं केवल सखी बनाकर कैलाश ले जा रही हूं लेकिन हरतालिका ने जो मेरे व्रत में मेरा साथ दिया उसको भी अमर करना होगा उन्होंने हरतालिका को पुनः कहा कि मेरे मन के संतोष के लिए एक वरदान और मांगो जो आपकी इच्छा हो हरतालिका ने हाथ जोड़ कहा आज के दिन आप को भगवान शिव के दर्शन हुए आपके तपस्या पूर्ण हुई शिव पार्वती का मिलन हुआ यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो आज के दिन हरतालिका तीज का जो आपका व्रत करें कन्याओं को योग्य वर औहागनों को पति की लंबी उम्र प्राप्त हो फिर हरतालिका ने हीं मां भगवती पार्वती से कहा हे मां हरितालिका तीज का व्रत कैसे करें आप जन कल्याण के लिए बताएं मां भगवती ने हरतालिका तीज के बारे में अपने मुखारविंद से जो विधि-विधान और जो नियम बताए हैं वह आज के दिन सुनना भी चाहिए ध्यान करना चाहिए आइये अब तीज पर्व की महिमा का वर्णन करें!
माताएं बहनें सबसे पहले हरतालिका तीज के एक दिन पहले विशेष प्रकार का भोजन ग्रहण करके माता के व्रत का संकल्प करती है उस दिन संध्या कालीन बेला में अपने पति के प्रेम को प्राप्त करने हेतु हाथों में सुंदर मेहंदी लगाये क्योंकि हरा रंग भगवान शिव को प्रिय है और लाल रंग मां भगवती को मेनदी दोनों ही रंग का प्रतीक है इसलिए मेहंदी लगा कर और पूजा की सामग्री एकत्रित करके व्रत के लिए माताएं बहने तैयार हो तीज के दिन प्रातः काल सुहागन माताएं बहने सुबह जल्दी उठकर स्नान ब्रह्म मुहूर्त में करके बालों को धोकर सुंदर साफ-सुथरे नए वस्त्र पहनकर माता भगवती पार्वती भगवान शिव गणेश जी की मिट्टी की और बालू की प्रतिमा बनाते हैं या पार्थिव प्रतिमा सुंदर सी चौकी सजा कर फुलेरा बनाकर स्थापित किया जाता है फिर मूर्तियों का पंचामृत से दूध दही घृत से स्नान कराकर चंदन गोरोचन लेप कर उनका पूजन किया जाता है!
माता के भजन कीर्तन का आयोजन स्वागत गीत प्रस्तुत करते हुए भगवान शिव पार्वती और गणेश की पूजा करते हैं फुलवा सजाने की परंपरा भी बहुत अच्छी है हमारे यहां भगवान शिव के लिए कहा गया कि वे प्रकृति प्रेमी है मां भगवती भवानी तो कैलाश के हरीतिमा और शुभम वनों में विचरण करती हैं इसलिए मां भगवती को और भगवान शिव को दोनों को ही हरीतिमा बहुत प्रिय है फूल बहुत प्रिय है प्राकृतिक सौंदर्य उनको प्रिय है इसलिए फुलेरा विविध फुलों से पत्तों से सजाना चाहिए यह व्रत भादो तीज को होने वाली है!
यह हरियाली के समय होता है हरियाली के समय होने के कारण यह संदेश देता है कि आप अपने आसपास के वातावरण को भूल जाते हैं अपने घरों में भी सुंदर सुंदर पुष्प लगाएं अपने घरों को फुलवा बनाएं जिसमें तुलसी बेल गेंदे ओर अन्य पौधे लगाए। तीज पर्व के कथा एवम महत्व व्याख्या के साथ आज का सत्संग का समापन हुआ!!!