स्कूल में "सच्चा" बनाने भेजते हैं ना कि "चोर"
@छत्तीसगढ़//मुख्यमंत्री)
रामानुजनगर(श्रीनगर)/ लगता है विवादों से जुड़े रहना स्वामी आत्मानंद स्कूल भूवनेश्वरपुर का आदत सा बन गया है। आए दिन नए ,नए विवाद विद्यालय से जुड़े रहते हैं ,ऐसा ही एक नया मामला पुनः स्वामी आत्मानंद स्कूल भूवनेश्वरपुर से निकल कर आया है ,जहां एक पिता ने वर्तमान प्राचार्य पर गंभीर आरोप लगाते हुए "मुख्यमंत्री जनदर्शन" में इसकी शिकायत की थी की मैं अपने बच्चे को स्कूल "सच्चा" बनाने भेजता हूं ना कि "चोर"। स्कूल में बच्चों को सालभर पढ़ाया ही नहीं जाता बल्कि शासन के पैसे को पचाने का कार्य किया जाता है और जब बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आती हैं तो बच्चों को चोरी करना(नकल करना) सिखाया जाता है और नकल मारकर पास भी कराया जाता है और ऐसे ही मामले में ब्लॉक रामानुजनगर, ग्राम तिवारागुड़ी ,निवासी मनराखन राम साहू के पुत्र अंकित साहू के साथ हुआ है। मनराखन साहू ने "मुख्यमंत्री जनदर्शन" में उपस्थित होकर लिखित में शिकायत माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से की है कि उनके पुत्र स्वामी आत्मानंद स्कूल भुवनेश्वरपुर में पढ़ाई करता है और सत्र वर्ष 2023,24 दसवीं की बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित हुआ था। जहां सालभर विद्यालय में पढ़ाई नहीं कराई गई, ऐसे में हमारे बच्चे का भविष्य अब अधर में लटक गया है। अभिभावक साहू ने वर्तमान प्राचार्य पर तत्काल आवश्यक कार्यवाही करते हुए संपूर्ण प्रकरण की मजिस्ट्रेट जांच की भी मांग की है। विदित हो कि जांच हेतु मुख्यमंत्री निवास से जिला सूरजपुर के कलेक्टर को पत्र जारी कर कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है। परंतु आज तक संबंधित प्राचार्य उमेश गुर्जर पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है,जिससे यह साबित तो हो ही रहा है कि प्रशासन और शिक्षा विभाग भी इनको शह प्रदान करते हुए दिखाई देरहा है। पूर्व में विद्यालय से संबंधित हिंदी माध्यम के बच्चों से पैसा वसूल करने की भी कई खबरें प्रकाशित होती रही हैं, जबकि मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह बात हैं तो फिर कोई कार्यवाही न होना ये बताता है कि इनको कहीं न कहीं से शह प्राप्त हो रहा है तभी तो प्राचार्य इतना दुस्साहस कर रहे हैं।स्कूल में जहां पहले प्रवेश लेने के लिए हजारों की संख्या में कतार लगती थी, वही अब ये आलम हो गया है कि बच्चे नाम कटाकर अन्यत्र शालाओं में पढ़ने को मजबूर हो रहे हैं। गरीब बच्चों के लिए प्रारंभ किए गए इन कथित योजनाओं का क्या लाभ..?बड़ी बात ये निकल कर आती है जब स्वामी आत्मानंद स्कूल समिति के अध्यक्ष जिले के कलेक्टर होते हैं तो भी प्राचार्य अपनी मनमानी कैसे कर लेते हैं। पिछले वर्ष एक छात्रा के साथ ऐसा मामला हुआ कि जब परीक्षा में छात्रा अतिरिक्त विषय का पेपर देने परीक्षा कक्ष में पहुंची तो उस छात्रा को पता चला कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा उस छात्रा का संबंधित विषय का फॉर्म ही नही भरा गया है, उस समय से तो उस छात्रा आओ उसके अभिभावक को समझाइश देकर मामला को दबा दिया गया लेकिन ऐसे में उस छात्रा के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ हो ही गया। एक मामला तो इसी सत्र का है जब विद्यालय में प्रवेशित बच्चे का ग्राह्यता लेने हेतु अभिभावक को मंडल कार्यालय रायपुर भेजा गया, जबकि मंडल कार्यालय जाने का कार्य विद्यालय प्रबंधन का है या फिर अभिभावकों का। विद्यालय के पढ़ाई की स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि कक्षा 4 थी के बच्चे किताब पढ़ना नही जानते हैं , पढ़ाई की गुणवत्ता निम्न श्रेणी की हो गई है। विद्यालय में प्रशिक्षित शिक्षक होते हुए भी खेल के शिक्षकों द्वारा बच्चों को पढ़वाया जाता है, जबकि बीएड प्रशिक्षित प्रधान पाठक स्कूल की कुर्सियां तोड़ रहे हैं। "जिला का नंबर एक स्कूल आज जिला सूरजपुर का सबसे बदहाल स्कूल बन गया है"।उपद्रवी और अराजक शिक्षकों के बर्खास्तगी की फाइल आज तक लंबित है।ऐसे में कैसे शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। कई बार शिकायतों के बाद भी कई शिक्षक मुख्यालय में निवास नही करते हैं यहां तक कि खुद प्राचार्य मुख्यालय में निवास नही करते हैं। कई शिक्षक जो हाउसिंग बोर्ड के कमरे में रहते हैं लेकिन हाउसिंग बोर्ड को कोई भी किराया नहीं दिया जाता है न ही प्राचार्य द्वारा उनके वेतन से रूम का किराया काटकर चालान पटाया जाता है।अब देखना ये है कि क्या मुख्यमंत्री निवास से पत्र जारी होने के बाद भी जिला सूरजपुर के सेजेस अध्यक्ष /जिला कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही की जाती है या नहीं.? और शाला की गुणवत्ता एवम् गरिमा पुनः स्थापित हो पाती है कि नहीं।
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