CG "क्या BJP सरकार भ्रष्टाचारियों पर नही कर पा रही कार्यवाही..?? आखिर किसकी सहयोग से चल रहा जिले में भ्रष्टाचार..?? 4 सालों से बंद है मिल... तो बताईए मुख्यमंत्री जी कौन करता है कागजों पर खरीदी -बिक्री.. देखें?

CG "क्या BJP सरकार भ्रष्टाचारियों पर नही कर पा रही कार्यवाही..?? आखिर किसकी सहयोग से चल रहा जिले में भ्रष्टाचार..?? 4 सालों से बंद है मिल... तो बताईए मुख्यमंत्री जी कौन करता है कागजों पर खरीदी -बिक्री.. देखें?


बैकुण्ठपुर//छत्तीसगढ़ ) 

कोरिया जिले के चितमारपारा पटना स्थित मेसर्स मंगल राइस मिल पर अपर कलेक्टर अरुण मरकाम और जिला खाद्य अधिकारी के नेतृत्व में छापेमारी की कार्यवाही की गई। बीते एक हफ्ते से इस बन्द मिल को लेकर चर्चा आम थी। जिला प्रशासन ने मामले को सज्ञान लेकर कार्यवाही की।


मेसर्स मंगल राइस मिल द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में निर्धारित मात्रा से कम चावल जमा किया गया था। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए खाद्य अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने मिल का भौतिक सत्यापन किया। जांच में पाया गया कि मिल द्वारा एफसीआई और नान से 3,895 मे.टन धान उठाया गया था, जिसके बदले 2,635.74 मे.टन चावल जमा किया जाना था। हालांकि, जांच के दौरान मात्र 28.98 मे.टन चावल जमा पाया गया और मिल में धान एवं चावल की शेष मात्रा शून्य पाई गई। इसके साथ ही, मिल के प्रतिनिधियों द्वारा इस संदर्भ में कोई संतोषजनक जवाब या प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।


जारी किया नोटिस

मेसर्स मंगल राइस मिल की इस गतिविधि को छत्तीसगढ़ शासन की कस्टम मिलिंग नीति और चावल उपार्जन आदेश 2016 का उल्लंघन माना गया है, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। इस पर कड़ी कार्रवाई करते हुए अपर कलेक्टर एवं खाद्य अधिकारी ने मिल के संचालिका श्रीमती कमला ठाकुर को तीन दिनों के भीतर जवाब देने का नोटिस जारी किया है। यदि निर्धारित समयावधि में संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।


तीन चार साल से बन्द है मिल

 मंगलम राइस मिल के बारे में बताया जाता है कि बीते 3 वर्षों से बन्द है, अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कौन है इसके पीछे जो कांग्रेस सरकार में भी और भाजपा सरकार में भी अधिकारियों पर दबाव बनाकर डीओ कटवा रहा था, मामले की जांच बेहद जरूरी है। बीते तीन चार साल से कोरिया जिले में धान खरीदी में गड़बड़ी की शिकायतें आम हो चुकी हैं, वहीं सहकारिता विभाग जिला प्रशासन को गुमराह करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है


धान खरीदी में बड़ा खेला

कोरिया और एमसीबी जिले में स्थित राईस मिलों में आने वाले धान और फिर जमा होने वाला चावल को लेकर बड़ा खेला जारी है, धीरे धीरे इसके अंदर की इनसाइड स्टोरी हम आप तक पहुंचाएंगे। फिलहाल बात करते है कोरिया जिले के पटना तहसील स्थित इस बन्द राइस मिल की, इस बंद राइस मिल में वर्ष 2023-24 में हुई धान खरीदी से 38 हजार क्विंटल से ज्यादा का धान यहां भेजा गया, जब हमने इस संबंध में सहकारी संस्थाएं के सहायक पंजीयक से बात की तो उनका कहना है कि ये सवाल आप डीएमओ से पूछिए मेरा काम डीओ जारी करना नहीं है। पर उन्होंने आगे यह भी जोड़ा की ऐसा नही करना चाहिए, डीएमओ का कई बार कॉल करने पर कार्यालय जा कर पता लगाने पर भी इस मामले में जवाब आज तक नहीं मिल पाया। वहीं नागरिक आपूर्ति निगम के सूत्र बताते है कि जिस बंद राइस मिल की हम बात कर रहे उसका चावल जमा हो रहा है। अब प्रशासन की छापेमारी से काफी कुछ सच निकलकर सामने आने की उम्मीद बढ़ी है।


मामले की इनसाइड स्टोरी जानिए

दरअसल, सूत्रों की माने तो इस बंद राइस मिल का डीओ कुछ राजनैतिक लोगों के दबाव में जारी करवाया जा रहा है। यह खेल कांग्रेस के सरकार से समय भी होता रहा है और भाजपा के सरकार के समय भी जारी है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस बंद राइस मिल में इतनी संख्या में धान समितियों से कैसे उठाया गया और ट्रकों में लोड कर पहुंचाया गया। जवाब भी बेहद आसान है, धान खरीदी के जानकारों की माने तो ना तो ट्रक में लोड हुआ और ना समितियों से धान उठाया गया, कागजों में धान खरीदी किया गया और कागजों में धान राइस मिल में पहुंच गया। वहीं बड़ा सवाल यह भी खडा हो रहा है कि धान खरीदी शुरू होने के पूर्व जिले के कई अधिकारी राइस मिलों तक जाकर सत्यापन का कार्य करते है तो उन्हें यह बंद मिल क्यों नही देखी।


38 हजार क्विंटल तो कितना बोरा

सूत्रों की माने तो 38 हजार क्विंटल धान आसपास की समितियों से इस बंद राइस मिल तक पहुंचा होगा, 38 हजार क्विंटल का मतलब 95 हजार धान का बोरा होता है। ऐसे में यदि हम मान में कि एक ट्रक में 700 बोरा धान पहुंचाया जाता है तो 135 ट्रकों में भरकर धान राइस मिल तक पहुंचाया गया होगा। ऐसे में किस तरह से बंद राइस मिल तक धान पहुंचा मामला पूरी तरह से संदेह के घेरे में है जिसकी जांच बेहद जरूरी है।


डीओ की होती है खरीदी

कोरिया जिले ही नहीं हर कही धान खरीदी में बड़ा खेला होता है। सूत्रों की माने तो धान खरीदी के समय ही डीओ की खरीदी हो जाती है, इसमें धान के सरकारी दर से 5 सौ रू कम ही दर पर कागजों में धान खरीद लिया जाता है और आसान तरीके से समझिए कि यदि धान का मूल्य 3100 रू है तो बेचने वाला कृषक धान के बदले 2500 रू देकर धान का डीओ खरीदी लेता है, बेचने वाले कृषक को बैठे बिठाए 600 रू क्विंटल का फायदा हो जाता है। ऐसा फायदा उन किसानों का होता है जो किसी भी प्रकार की खेती नहीं करते या अधिया में खेती करवाते है। ऐसे में किसानों की संख्या मे कम से 30 से 40 % है। इसमें फर्जी गिरदावरी करने के कारण यह स्थिति निर्मित होती है। इसके अलावा सस्ते दर पर धान खरीदकर भी पहुंचाया जाता है, ज्यादा ऐसे फड़ों में धान खरीदी की जाती है तो 3100 से कम पर धान असानी से बेच रहे होते है। डीओ खरीदी का खेल कई वर्षो से जारी है जिस पर सरकार अब तक नियंत्रण नहीं लगा पाई है।







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