CG "स्कूलों में मरम्मत के नाम पर हो रहा लाखों का खेल,हम जाएंगे स्कूल,खोलेंगे पोल..ग्राम पंचायत के स्थान पर आरईएस को एजेंसी बनाना भी गलत :-देवेन्द्र तिवारी..

CG "स्कूलों में मरम्मत के नाम पर हो रहा लाखों का खेल,हम जाएंगे स्कूल,खोलेंगे पोल..ग्राम पंचायत के स्थान पर आरईएस को एजेंसी बनाना भी गलत :-देवेन्द्र तिवारी..

 

@बैकुंठपुर//छत्तीसगढ़!!

पूर्व जिपं सदस्य और भाजपा जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने बयान जारी किया है कि कोरिया जिले में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जर्जर या क्षतिग्रस्त स्कूल भवनों के लिए प्राक्कलन के अनुसार प्रत्येक भवन हेतु 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपए तक स्वीकृत किये गए हैं। इसमें छत मरम्मत ,फर्श मरम्मत दीवार मरम्मत इत्यादि कार्य होने हैं। जैसा कार्य होना है उसी आधार पर राशि स्वीकृत की गई है। किंतु यह देखने में आया है कि निर्माण एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से हो रहे इन कार्यों में लीपापोती की जा रही है। ग्रामीणों ने कई स्कूलों में आनन फानन में हो रहे कार्यों के फोटो भी भेजे हैं। 25 प्रतिशत कार्य कर ठेकेदार औपचारिकता पूरी करने की फिराक में हैं।

तिवारी कार्यों की सूची जारी करते हुए कहा है कि स्वयं स्कूलों में जाकर हम कार्यों की स्थिति देखेंगे और कलेक्टर कोरिया को वास्तविकता से अवगत कराएंगे।

 तिवारी ने सूची को जारी करते है कहा कि प्रत्येक ग्रामवासी अपने गांवों में हो रहे कार्यों का निरीक्षण करें।

*ग्राम पंचायतों को बनाना था निर्माण एजेंसी* देवेन्द्र तिवारी ने कहा कि प्रत्येक स्वीकृत कार्य के लिए स्वीकृत राशि 10 लाख से कम हैं।ऐसे में स्थानीय ग्राम पंचायतों को निर्माण एजेंसी बनाया जाना चाहिए था किंतु सत्ता में बैठे लोगों के दबाव में प्रशासन ने यह कार्य ग्राम पंचायतों को नहीं दिया गया है।यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

*शिक्षक निगरानी रखें*- पूर्व जिपं सदस्य श्री देवेन्द्र तिवारी ने संस्था के शिक्षक समुदाय से विशेष आग्रह किया है कि वो स्कूल परिसर में हो रहे कार्यों की निगरानी रखें, क्योंकि जर्जर भवनों से पठन पाठन में शिक्षकों और छात्र छात्राओं को दिक्कत होती है।यह विद्यालय के विकास के लिए जनता का पैसा है इसका बंदरबांट किसी भी स्थिति में नहीं होने देना है। जिन स्कूलों में मरम्मत के नाम पर लीपापोती हो रही है, उसकी जानकारी प्रशासन को देवें। या मुझे व्यक्तिगत तौर पर इसकी जानकारी दे सकते हैं।स्कूलों के नाम पर पैसों की चोरी किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

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