CG “फार्मेसी में गड़बड़ी” मेडिकल स्टोर संचालक का लाइसेंस सस्पेंड: दो फार्मासिस्टों ने बांटे सौ प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र, एक-दूसरे को भी दिए…-

CG “फार्मेसी में गड़बड़ी” मेडिकल स्टोर संचालक का लाइसेंस सस्पेंड: दो फार्मासिस्टों ने बांटे सौ प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र, एक-दूसरे को भी दिए…-


@छत्तीसगढ़//रायपुर

छत्तीसगढ़ फार्मेसी काउंसिल में 2004 से चल रहे रजिस्ट्रेशन गोलमाल की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि तिरुमलई-चेन्नई के जिन 37 उम्मीदवारों ने काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाया है, उन्होंने राजनांदगांव के एक ही मेडिकल स्टोर्स के दो फार्मासिस्टों से ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लिया था। जांच में यह खुलासा भी हुआ कि इन फार्मासिस्टों ने सौ से ज्यादा उम्मीदवारों को ट्रेनिंग सर्टिफिकेट जारी किए थे। खुद दोनों ने एक-दूसरे को सर्टिफिकेट दे दिया था। इस आधार पर विजय मेडिकल स्टोर के संचालक दुरेंद्र साहू का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। भास्कर ने दस्तावेज खंगाले तो यह बात भी सामने आई कि स्टोर संचालक और फार्मासिस्ट के तौर पर दुरेंद्र ने 2004 में मोहिंदर साव को फार्मासिस्ट का प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रमाणपत्र दिया है, जबकि दुरेंद्र के पास 2008 का रजिस्ट्रेशन है। जांच टीम इस बात से हैरान रह गई कि दर्जनों ट्रेनिंग सर्टिफिकेट जारी करनेवाले दुरेंद्र का सर्टिफिकेट भी राजनांदगांव के इसी मेडिकल स्टोर का है। उसके प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर मोहिंदर साव ने किए हैं। यानी दोनों ने एक दूसरे की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र दिया है और दोनों का फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन हो गया। अब वही दोनों विजय मेडिकल के फार्मासिस्ट के तौर पर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं। काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. श्रीकांत राजिम वाले ने इस मेडिकल स्टोर के संचालक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था कि आखिर फर्जी डिग्री वालों को कैसे प्रैक्टिकल का प्रमाण पत्र दे दिया? संचालक की ओर से जवाब नहीं दिए जाने के कारण अभी दुरेंद्र साहू का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। चेन्नई काॅलेज और डीएमई से आया पत्र- सर्टिफिकेट जारी नहीं किया फार्मेसी काउंसिल की जांच कमेटी के पास अभी 29 प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। सभी ने चेन्नई के एक कॉलेज से फार्मेसी की पढ़ाई का प्रमाण पत्र दिया है। उनकी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र राजनांदगांव की विजय मेडिकल स्टोर का है। उसमें दुरेंद्र के हस्ताक्षर और उसी दुकान की सील है। इसके पहले पुलिस में 70 ऐसे ही फर्जी प्रमाणपत्रों की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। जांच रोकने नोटिस फार्मेसी काउंसिल की जिस परिषद ने बरसों से चल रहे फर्जीवाड़े को उजागर किया, अब उस कमेटी को ही भंग करने की तैयारी है। काउंसिल की परिषद को नोटिस जारी कर कहा गया है कि वे 31 दिसंबर तक जांच पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। 15 जनवरी तक परिषद के चुनाव कराने को कह दिया गया है। इसे लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दस्तावेज जांचेंगे काउंसिल ने अभी तक केवल पिछले 3 साल के रजिस्ट्रेशन की जांच शुरू की है। फर्जीवाड़े के ऐसे प्रमाण मिल रहे हैं, जिससे परिषद ने 2000 के बाद से अब तक के हर रजिस्ट्रेशन के दस्तावेजों की जांच होगी। पहली खेप में करीब 70 फार्मासिस्टों का फर्जीवाड़ा के बाद अब 29 और मिल गए हैं। इनके नाम भी जांच के लिए पुलिस को सौंपे जाएंगे।



@सोर्स - सोसल मीडिया

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