@कोरिया//ब्यूरो चीफ़।।
पूरे छत्तीसगढ़ का पहला मामला खाद्य विभाग के राशन डीलर ने करके दिखाया है.. जिसमे फर्जी राशनकार्ड धारीयों जो कि दूसरे पंचायत के है उनके नामनी मे ग्राम पंचायत के लोंगो को बिना बताय जोड़ दिया गया आधार कार्ड, फिर उनका अंगूठा लगवाकर काफी वर्ष से चट कर लिया जा रहा है, केंद्र और राज्य सरकारों के राशन,पर डाका डालने का पोल ग्रामीणों ने फूड इंस्पेक्टर के सामने खोल दिया, जिसमे सबसे बड़ा बात है - ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के माध्यम से ये सभी फर्जी नामनी राशनकार्ड बना कर दिया जा रहा है?? क्या डीलर के भ्रष्टाचार मे साथ, जब सरपंच से इस विषय मे पूछा गया कि बताइये सरपंच (गुलाब चंद पैकरा) क्या आप इनको जानते है, जिसके बाद उनको नहीं पता था, और उन्होने अंत में बताया कि - मेरे जानकारी मे नई है नॉमिनी वाले राशन कार्ड धारी की जानकारी नई है और फिर क्या प्रस्ताव सचिवों ने बना कर दिया गया होगा सरपंच को मालूम नहीं है।
ग्रामीणों ने फूड इंस्पेक्टर को बताया गया कि 2 - 3 बार अंगूठा लगवा लिया जाता है, जिसकी जानकारी हमको नहीं होती, हम तो अपने घर का राशन लेने आते हैं, मगर इसके पीछे इतना बड़ा भ्रष्टाचार कर रहा राशन डीलर हम सब परेशान हैं।
सोचने वाली बात यह है कि राशन कार्ड पंचायत में होने वाली ग्राम सभा से ही राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया पूरा किया जाता है। लेकिन डाकईपारा पंचायत में राशन कार्ड क्या उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से बनाया जाता है यह पंचायत में कोई सिस्टम तो नहीं रखा गया है।