एक सायरी लिखी है . कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा..

एक सायरी लिखी है . कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा..


 एक सायरी लिखी है, कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा।

तेरी सीरत साफ शीशे की तरह, मेरे दामन में दाग हजारों हैं।

तू नायाब किसी पत्थर की तरह, मेरा उठना बैठना बाजारों में।

तेरी मौजूदगी का इंतजाम कर भी लू।

जब तू होगा रूबरू मैं ये जज्बात कहां छूपाऊंगा। 

एक सायरी लिखी है, कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा।

एक उम्र लेकर आना, मैं खाली किताबे ले आऊंगा।

तोड़ कर लाने के वादे नहीं, मैं अपने कलम से सितारे सजाऊंगा।

इस जमीन में खास कोई नहीं मेरा।

अगर तू एक बार कबूल करे।


मैं अपने गवाहों को आसमान से बुलाऊंगा।

एक सायरी लिखी है, कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा।

To Top