पाकिस्तानी फिल्म 'The Legend of Maula Jatt' आजकल अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते सुर्खियों में है। फिल्म 13 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और पहले वीकेंड पर ही फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़े डाले। फिल्म पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में छाई हुई है। भारत में भी इसे खूब सराहा जा रहा है। आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है। चलिए जानते हैं।
The Legend of Maula Jatt को पाकिस्तान के अलावा विश्व भर में 500 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है। पहले वीकेंड पर ही फिल्म ने ग्लोबल बॉक्स ऑफिस पर 23 लाख डॉलर (लगभग 19.8 करोड़ रुपये) का बिजेनस कर लिया। अकेले पाकिस्तान में ही इसकी पहले वीकेंड की कमाई 11.3 करोड़ रुपये थी। अमेरिका में फिल्म ने 6.3 करोड़ रुपये कमाए, तो इंग्लैंड में 7.8 करोड़ रुपये जुटाए।
पाकिस्तान के बाद फिल्म को जिस देश में दूसरा सबसे बड़ा रेस्पोन्स मिला, वो था दुबई। अकेले दुबई में फिल्म ने 11.26 करोड़ रुपये कमाए। भारत में भी इस फिल्म को पसंद किया जा रहा है। फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने भी फिल्म की तारीफ में ट्वीट किया है।
द लैजेंड ऑफ मौला जट्ट 1979 में आई 'मौला जट्ट' का रीमेक है। इसका डायरेक्शन यूनुस मलिक ने किया था। यहां तक कि मौला जट्ट भी 1975 में आई एक फिल्म 'वहशी जट्ट' का सीक्वल है, जो कि अनऑफिशिअल सीक्वल है। वहशी जट्ट की जहां तक बात है, उस वक्त अहमद नदीम कासमी की एक शॉर्ट फिल्म 'गंडासा' आई थी, जिस पर वहशी जट्ट को बनाया गया।
'द लेजेंड ऑफ मौला जट्ट' में फवाद खान और माहिरा खान मुख्य भूमिकाओं में हैं। इनका साथ निभा रहे हैं हमजा अब्बासी, हुमैमा मलिक, गौहर रशीद, शमून अब्बासी, अली अजमत और अदनान जाफर। हमजा अब्बासी फिल्म में मेन विलेन के किरदार में दिखाई दे रहे हैं।
द लैजेंड ऑफ मौला जट्ट, जो दुनियाभर में धूम मचा रही है, अपने आप में काफी खास फिल्म है। इस फिल्म को डायरेक्टर बिलाल लशारी ने 2013 में प्लान करना शुरू किया था, जब उनकी फिल्म ‘वार' आई थी। उन्होंने कहा था कि वो 1979 में आई ‘मौला जट्ट' को फिर से पर्दे पर जीवंत करेंगे।
बिलाल इस फिल्म को बड़े पैमाने पर बनाना चाहते थे, जैसा कि इंडियन सिनेमा में संजय लीला भंसाली को जाना जाता है। फवाद खान को फिल्म के लिए शुरू में ही फाइनल कर दिया गया था। उसके बाद फिल्म के विलेन के रूप में नूरी नट चुने गए।
फिल्म 50 के दशक की 'गंडासा' को आधार बनाकर बनाई गई है। मौला जट्ट नाम के आदमी की ये कहानी थी, जिसमें उसके साथ बहुत कुछ गलत होता है और फिर वो उसके लिए बदला लेता है। यह तब के समाज की बात है, जिसमें पुरूषों को रोने का अधिकार नहीं था, अगर पुरूष को आघात पहुंचता है तो वह केवल अपने क्रोध के रूप में ही उसको बाहर ला सकता था। उसके बाद मौला नाम के किरदार पर ही एक फिल्म 1974 में आई थी, जिसका नाम 'वहशी जट्ट' था।
मौला इसमें भी अपने पिता की हत्या का बदला लेता हुआ दिखाया गया। यानि अब मौला नाम के किरादार प्रतिशोध की धारा में जुड़ते चले गए। वहशी जट्ट काफी सफल फिल्म रही और इसने इस किरदार पर भविष्य की फिल्मों की नींव भी रख दी।
सोर्स : इंटरनेट वेबसाइट।