बहकावे में आकर ईसाई धर्म परिवर्तन करनें वाले 43 परिवारों को केंवट समाज से किया गया बहिष्कृत... बातचीत के बाद 21 परिवारों नें वैदिक हिन्दू धर्म में की वापसी...

बहकावे में आकर ईसाई धर्म परिवर्तन करनें वाले 43 परिवारों को केंवट समाज से किया गया बहिष्कृत... बातचीत के बाद 21 परिवारों नें वैदिक हिन्दू धर्म में की वापसी...

@कोरबा//वेब न्यूज़ डेस्क।
निषाद केंवट समाज के लोग मतांतरण को लेकर अब जागरूक हो गए हैं। ईसाई मिशनरी के प्रभाव में आकर सलोरा व बिसनपुर गांव में रहने वाले केंवट जाति के 43 परिवार में मतांतरित हो गए थे।

समाज की पहल व समझाईस के बाद 21 परिवार के सदस्यों के चरण धोकर समाज के लोगों ने घर वापसी कराई है। बीमारी दूर होने का दावा करते हुए करीब दो साल पहले मतांतरण कराया गया था। घर वापसी के साथ ही समाज के लोगों को किसी भी तरह के बहकावे में आकर मतांतरण नहीं करने का संदेश दिया गया।

छत्तीसगढ़ में निषाद केंवट समाज से जुड़े लोगों की आबादी करीब चार लाख है। अकेले कोरबा जिले में 25 हजार केंवट समाज के लोग निवासरत हैं। समाज के जिला महासचिव संतोष केंवट ने बताया कि सलोरा व बिसनपुर में रहने वाले 450 में 43 परिवार ने मतांतरण कर लिया।

Qइतनी बड़ी संख्या में मतांतरण की खबर बेहद चिंताजनक रही। इस पर रोक लगाने समाज ने छत्तीसगढ़ स्तर पर काम किया जा रहा। इसकी शुरूआत कोरबा से की गई है। सलोरा इकाई की सामाजिक बैठक हनुमान मंदिर सामुदायिक बैठक आहुत की गई।

इसमें छुरी, कटघोरा, बिसनपुर, चैतमा, अमलडीहा, दर्रा भांठा, केंदई, पोड़ी उपरोड़ा कछार व कोरबा के पदाधिकारी शामिल रहे। इस दौरान मतांतरित हुए 21 परिवार के लोगों के घर वापसी पदाधिकारियों ने चरण धोकर कराई। इस मौके पर मतांतरण की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए अध्यक्ष अजीत कैवर्त ने कहा कि केंवट समाज प्रारंभ काल से ही हिंदू धर्म को मानते आ रही।

समाज की संस्कृति के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गांव में बने चर्च को मिशनरी खुद हटा ले, अन्यथा प्रभावित ग्रामीण व जिला संगठन महत्वपूर्ण कदम उठाने बाध्य होंगे।

उन्होने कहा कि शेष बचे मतांतरित लोगों को समाज में वापसी का प्रयास जल्द किया जाएगा। समाज के लोगों ने घर वापसी करने वाले मतांतरित परिवारों का हृदय से स्वागत किया।

शुद्धिकरण व घर वापसी भारत की प्राचीन विधा :

शुद्धि व घर वापसी प्राचीन विधा है। भारत का इतिहास भी शुद्धि की घटनाओं से भरा हुआ है। प्राचीन संस्कार को पुनर्जीवित करने व खोए हुए भाइयों को वापस हिंदू धर्म में लाने का क्रांतिकारी प्रयास स्वामी दयानंद ने किया।

समाज के अध्यक्ष केंवट का कहना है कि इसी प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए समाज के अपने भाई बंधुओं की समाज में कराई है। यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा।

समाज की अलग अलग इकाइयां गांव-गांव में भ्रमण कर मतांतरण के खिलाफ अभियान भी चलाएगी। साथ ही समाज के लोगों को किसी भी प्रकार के प्रलोभन नहीं आने के लिए जागरूक किया जाएगा।


सामाजिक आयोजनों में शराब पर लगाया प्रतिबंध :

बैठक में समाज के लोगों को नशा से भी दूर रहने के लिए आह्वान किया गया। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि समाज के किसी भी व्यक्ति के घर शादी, षष्ठी, दशकर्म व विवाह आदि कार्यक्रमों में शराब नहीं परोसा जाएगा। इस पर समाज ने प्रतिबंध लगाते हुए नशे से दूर रहने का आह्वान किया। लोगों को समझाईस देते हुए कहा गया कि नशे से समाज व परिवार दोनों का का विकास अवरुद्ध होगा।
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