*पौनी पसारी के लगभग आधे से अधिक दरवाजे हुए चोरी पर ध्यान किसी का नहीं*
सूरजपुर/भटगांव:-- नगर पंचायत भटगांव जिला सूरजपुर अंतर्गत 26 लाख 88 हजार रुपए की लागत की राशि से बना पौनी पसारी अपनी उपयोगिता को तरस रहा है। पौनी पसारी पानी बने आज लगभग 6 महीने को होने को आया लेकिन यह जरूरतमंद व्यक्तियों को आज तक आवंटित नहीं किया जा सका जो धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होना शुरू हो गया है जहां पौनी पसारी के अधिकांश दरवाजे धीरे धीरे कर चोरी हो गए हैं लेकिन शायद इस पर ध्यान किसी का नहीं गया आज तक और ना ही इस पौनी पसारी का आवंटन करना जरूरी समझा संबंधित जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने जो शासन का 26 लाख ₹88000 का पलीता लगता दिखाई दे रहा है।
नगर पंचायत भटगांव मे निर्मित पौनी पसारी जिसका उद्घाटन स्थानीय विधायक व संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े की अध्यक्षता में किया गया था। पौनी पसारी निर्माण से कई गरीब परिवारों के लिए रोजगार की आस जगी थी लेकिन आज तक जरूरतमंद लोगों को आज उपलब्ध नहीं कराया जा सका जो अब पौनी पसारी उपयोग से पहले ही खंडहर में तब्दील होना शुरू हो गया है समय रहते अगर इसका उपयोग नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब लाखों रुपए से बनाइए गए पौनी पसारी खंडहर में तब्दील हो जाएगा और शासन के पैसे का पतीला लग जाएगा लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ हाथों में हाथ धरे बैठे हैं।
*क्या था पौनी पसारी का उद्देश्य* - पौनी पसारी का उद्देश्य इधर उधर भटक कर अपना रोजगार चलाने वाले फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले, रोड किनारे सब्जी बेचने वाले, रोड़ किनारे चार्ट फुलकी की दुकान लगाने बेचने वाले जैसे अनेकों व्यवसाय जो रोड किनारे करते हैं जिनकी वजह से लगातार ट्रैफिक जाम होती है, यातायात के आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होती है, दुर्घटनाएं होती है इन सभी चीजों से बचने के लिए इन सब को एकत्रित कर पौनी पसारी में व्यवसाय के लिए जगह देना था लेकिन यह पौनी पसारी का उद्देश्य सिर्फ कागजों में सिमटता नजर आ रहा है।
*अशोक सिंह जिला मंत्री सूरजपुर भाजपा*-सूरजपुर जिले के नगर पंचायत भटगांव में पौनी पसारी का निर्माण किया गया बहुत अच्छी बात है ऐसे छोटे छोटे व्यवसायियों को रोजगार मिलता है लेकिन इतनी बड़ी लागत के साथ बना पौनी पसारी का कोई उपयोग नहीं हो रहा है जो नगर पंचायत के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण निर्माण कार्य पूरे होने के कुछ महीने बाद ही यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है जो कि शासन और प्रशासन के पैसा का पलीता लगाया जा रहा है। इसका उद्देश्य छोटे से छोटे व्यवसायियों को रोजगार प्रदान करना था जैसे कि धोबी, मोची, चार्ट-फुलकी लेकिन वास्तविक तौर पर धरातल में कुछ ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है जो सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है मोनी पसारी सिर्फ प्रतिक्षालय के रूप में उपयोग हो रहा है।