बापू! इस जन्म में फौजी नहीं बन पाया, अगले जन्म में ज़रूर बनूँगा
उत्तर भारत के अनेक गांवों के नौजवानों को आपने सड़कों के किनारे सुबह सुबह दौड़ते देखा होगा। ये नौजवान फ़ौज/पुलिस/अर्ध सैनिक बलों के लिए तैयारी करते रहते हैं अपने घर के खर्चे पर।
भर्ती निकलती है तो इनमें से कुछ वर्दी पा जाते हैं और बाकी बहुत सारे अगली बार की तैयारी में वापस उन्हीं सड़कों पर दौड़ने चले जाते हैं।
पर बीते तीन सालों से फ़ौज की भर्ती बंद है। कोई विकल्प सूझाने वाला भी कोई नहीं है।
तो ऐसे फैसले भी आ रहे हैं! दिल भर आता है लेकिन बेबसी है क्योंकि बेरोजगारी पर संवाद ही संभव नहीं!
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