Balod :- ऑनलाइन सत्संग से लाखों श्रद्धालुओं के जीवन में परिवर्तन... भारतीय संस्कृति को बचाने में रामबालक दास की महत्वपूर्ण भूमिका...-

Balod :- ऑनलाइन सत्संग से लाखों श्रद्धालुओं के जीवन में परिवर्तन... भारतीय संस्कृति को बचाने में रामबालक दास की महत्वपूर्ण भूमिका...-

PIYUSH SAHU (BALOD)
@बालोद
 जब कोई भक्त संसार का सभी आसरा छोड़कर आर्त भाव से भगवान को पुकारता है तो भगवान दौड़े चले आते हैं और भक्त की रक्षा करते हैं। जब तक सांसारिक जीव संसार के रिश्तों नातों में अपना हित देखता है उनसे अपेक्षा करता है तब तक वह मुसीबतों में उलझा रहता है। जब पूर्ण रूप से भगवान पर समर्पित हो जाता है तब भगवान आने में क्षण मात्र की भी देर नहीं करते।
        पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा पर संत रामबालकदास जी ने गज और ग्राह प्रसंग पर कहा कि जब तक गजेन्द्र पत्नी, परिजन आदि पर आश्रित रहा तब तक उसकी रक्षा नहीं हुयी जैसे ही उसने भगवान का स्मरण किया उसकी पीड़ा कम हुयी। प्रभु के शरणागत को कष्ट देने वाले ग्राह के जबड़े में दर्द होना शुरू हो गया। गजेन्द्र ने आर्त भाव से स्मरण किया कि मुझ जैसे घमण्डी जब तक संकट में नहीं फॅसते तब तक आपको याद नहीं करते। जब तक जीवन में दुख न हो भगवान की जरूरत का बोध नहीं होता। जब तक भगवान प्रत्यक्ष नहीं दिखते तब तक प्राणी भगवान का अस्तित्व नहीं मानता। जीवों की पीड़ा हरने वाले देव सृष्टि के मूलभूत कारण हैं। ऐसा स्मरण करते हुये गजेन्द्र ने सच्चे मन से सरोवर से कमल फूल तथा जल भगवान को अर्पित किया तब भगवान ने देर न करते हुये आकर गजेन्द्र का पैर ग्राह के मुख से निकाला तथा ग्राह का मुख चक्र से चीर दिया। कौरवों की सभा में जब दुस्सासन महासती पंचकन्या द्रोपदी का वस्त्रहरण करने लगा। द्रोपदी की पुकार पाण्डवों, कौरवों में से किसी ने नहीं सुनी तब द्रोपदी ने कन्हैया को पुकारा और कन्हैया ने द्रोपदी की रक्षा की। भगवान की ओर जब हम एक कदम बढ़ाते हैं तो भगवान भक्त की ओर दो कदम बढ़ाते हैं। सकाम भावना से भगवान को पुकारने पर उनके आने में देर हो सकती है परंतु सब कुछ त्यागकर केवल भगवान को अपना मानकर पुकारने पर भगवान आने में क्षण भर भी विलंब नहीं करते।
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