@बलरामपुर//कमल साहू।।
छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी छोर में सरगुजा संभाग आता है जो झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य पड़ता है, जहां से महापर्व छठी मैया पर्व का शुरुआत माना जाता है। वहीं से हमारी माताएं बहने इस महापर्व को मनाने सीखे हैं। बलरामपुर जिले के समूचे गांव में यह त्यौहार बड़ा ही धूमधाम से मनाया गया साथ ही साथ वाड्रफनगर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत सरना में बड़ा ही धूमधाम के साथ मनाया गया साथ ही साथ गांव के महानुभावों द्वारा भक्ति भावना से ओतप्रोत आर्केस्ट्रा प्रोग्राम भी रखा गया था जिसका लोगों ने भरपूर आनंद लिया और इस कार्यक्रम की वजह से माताएं बहने महिलाओं को रात में रुकने में किसी भी तरह का डर भय व्याप्त नहीं हुआ और रंगमंच के साथ तथा भक्ति भावना में लीन होते हुए इस महापर्व को संपन्न किया। साथ ही साथ आसपास के कई गांव में भी बड़े ही धूमधाम के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ जैसे कि रघुनाथनगर, गैना, सरना, जौराही आदि तमाम गांव में भी यह कार्यक्रम बड़ा ही धूमधाम के साथ मनाया गया।
सूर्य उपासना का यह महापर्व बड़ा ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पर्व में महिलाओं द्वारा सूर्य देवता का ध्यान किया जाता है। इस त्यौहार को कई जगहों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों में तो इसे छठ महापर्व के नाम से भी जाना जाता है और कुछ जगहों पर इसे छठी मैया के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य तौर पर यह छठ महापर्व बिहार राज्य से मनाया जाना शुरू होना बताया जाता है। तत्पश्चात बिहार राज्य के पड़ोसी राज्यों की महिलाओं ने भी इस पर्व को बड़ा ही उत्सुकता पूर्व मनाना शुरू कर दिए हैं। प्रारंभ में गांव के तालाबों में इक्का-दुक्का ही महिलाओं द्वारा यह छठ महापर्व को मनाया जाता था परंतु आज के दौर में लगभग समूचा गांव की महिलाओं द्वारा ही मनाया जाना आरंभ कर दिया गया है। जिसके चलते एक जगह पर सभी महिलाओं का पूजा अर्चना करने में काफी अफरातफरी मच जाएगा इस स्थिति को देखते हुए शांति ढंग से पूजा अर्चना करने के लिए गांव के एक गांव के दो-तीन जगहों पर इस छठ महापर्व का आयोजन किया गया व शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न किया गया जहां सरना ग्राम पंचायत में ही दो जगहों पर यह कार्यक्रम सुगमता पूर्वक संपन्न किया गया एक तो बमुरिया तालाब छठ घाट, दूसरा जोड़ा तालाब छठ घाट दोनों ही छठ घाटों में रंगारंग आर्केस्ट्रा प्रोग्राम के साथ माताएं बहनों ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया। इस त्यौहार के मनाने का मुख्य तौर यह है कि सूर्य उपासना कर छठ महापर्व को मनाने से घर में सुख संपदा बना रहता है मन्नत तथा मुरादें पूरी होती हैं।
इसी आशा और विश्वास के साथ महिलाएं, माताएं बहने इस त्यौहार को बड़े ही आत्मीय भाव के साथ बनाना आरंभ कर दिए हैं। जिससे गांव गांव के समुच्चय तालाबों के छठ घाटों पर महिलाओं का हुजूम देखने को मिलता है। आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ने की संभावना है। पंडितों ने दक्षिणा लेते समय महिलाओं से यह बात बताया कि जब मैंने शुरू में छठ घाट पर आया करता था तो उस समय मात्र दो तीन महिलाएं ही पूजा-अर्चना कर छठ महापर्व को मनाती थी, परंतु आज के दौर में इतनी सारी भीड़ यहां इकट्ठा हो जाती हैं की छठ घाट पर महिलाओं को बैठने के लिए भी जगह समुचित ढंग नहीं से हो पाता है।
इस त्यौहार को मनाने के लिए महिलाओं के द्वारावती लगभग 15 दिवस का समय लग जाता है। इस समय अंतराल में महिलाएं अपनी क्षमता अनुरूप इस त्यौहार को संपन्न कराने के लिए आवश्यक वस्तुओं का मार्केट से एकत्रित करना शुरू कर देती हैं। यह त्यौहार बड़ा ही कठिन तप के समान ही है जहां महिलाओं ने कड़कती ठंड में तालाबों में स्नान पश्चात सूर्य को अर्घ्य देती हैं इसके पश्चात पूजा अर्चना कर पूरी रात भर छठ घाट पर यानी तालाब के किनारे पूरी रात भर डेरा जमाए रहती हैं और पूरी रात छठी मैया के भाव में लीन रहती हैं।
वहीं दूसरी ओर इस पर्व के विपरीत प्रभाव भी देखने को मिलता है जहां बच्चे भी पूरी रात जगते हुए रह जाते हैं इसका खामियाजा उनको पढ़ाई पर भी पड़ता है जोकि न जाने कितने ही बच्चे आज मॉर्निंग के टाइम में स्कूल जाने से वंचित हो गए हैं। इसलिए भारतीय संस्कृति में एक पूजा पाठ और भगवान की उपासना की वजह एक विज्ञान की चमत्कार से जुड़ा हुआ है जो कि लाभ और हानि दोनों होता है।
यह त्यौहार को मनाने के लिए स्त्रियों के नए आभूषण, वस्त्रों, नए खाद्यान्न तथा फलों का उपयोग करते हैं। माताएं बहनों का मानना है कि हम लोगों का जितने भी खर्च हुआ करते हैं इस त्यौहार में उसे पूरा कर देती हैं, छठी मैया जी हम उनको श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना करते हैं। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे जिनमें मुख्य तौर पर बमुरिया तालाब छठ घाट में विशेष योगदान तालाब को साफ सफाई स्वयं से करते हुए पत्रकार चंद्रकांत साहू, कमल साहू व साथियों के साथ संपन्न कराया गया। जिसमें अर्जुन गुप्ता, देवेंद्र साहू, कमाल चंद साहू, पंकज साहू इसके अलावा भी तमाम साथियों का योगदान रहा।
जुड़ा तालाब छठ घाट में विशेष तौर से राजेश जयसवाल जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 7 का विशेष योगदान रहा जो छठ की आर्केस्ट्रा प्रोग्राम से लेकर कई छोटे-बड़े सहयोग किया गया। इसके अलावा राम विनय सेन तथा इनके साथियों का सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम में पूरी रात भर श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रही सुबह छठी मैया का प्रसाद वितरण पश्चात इस कार्यक्रम को सफल बनाया गया। इस दौरान काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।