CG :- कोरोना काल में सारा सत्संग ,कथा, भागवत इत्यादि रुक गया लेकिन बालोद जिला स्थित पाटेश्वर धाम में निरंतर चल रही है ऑनलाइन सत्संग लाखों लोग ले रहे आनंद...-

CG :- कोरोना काल में सारा सत्संग ,कथा, भागवत इत्यादि रुक गया लेकिन बालोद जिला स्थित पाटेश्वर धाम में निरंतर चल रही है ऑनलाइन सत्संग लाखों लोग ले रहे आनंद...-

PIYUSH SAHU (BALOD)

@बालोद

सनातन धर्म के रक्षक है सप्तऋषि :- राम बालक दास 

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन व्हाट्सएप ग्रुपों में 10:00 बजे एक साथ किया जाता है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं।
            पितृ पक्ष मे देवी देवता की पूजन करना उचित है या नही कृपया बताने की कृपा करे रिखी राम साहू के द्वारा यह जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से पूछा गया, बाबा जी ने बताया कि यह कोई सूतक नहीं है पितृपक्ष में हम देवी देवताओं की पूजा कर सकते हैं, इस समय तो कहा जाता है कि जिसकी मृत्यु होती है उनके लिए सीधे स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं और अभी आप कोई भी अच्छा कार्य करेंगे तो आपके पूर्वज आपको आशीर्वाद ही प्रदान करेंगे सिर्फ देवउठनी ग्यारस तक गृह प्रवेश एवं विवाह आदि नहीं होते बाकी हवन पूजन भागवत सभी शुभ कार्य आप बिल्कुल पूर्वजों के आशीर्वाद से कर सकते हैं।
         पुरुषोत्तम अग्रवाल ने जिज्ञासा रखी की , किन - किन ऋषियों को सप्तर्षि कहते हैं। इन्हें यह उपनाम क्यों दिया गया और इनकी क्या विशेषतायें हैं कृपया बताने की कृपा करेंगे। बाबा जी ने बताया कि हमारे धर्म में सप्त ऋषि की महान कार्यों के कारण हमारा धर्म सुरक्षित है इनके आसमान में सात तारे भी चमकते हैं, इनके कार्य क्षेत्र इतने व्यापक है कि इनका वर्णन ही असंभव है क्योंकि हमारे हर धार्मिक ग्रंथ महाभारत पुराण उपनिषद वेद सभी में वर्णित है, उपनिषद के अनुसार सप्त ऋषि है। 
वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।, ऋषि वशिष्ठ के कारण दशरथ जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, ऋषि विश्वामित्र जी के कारण भगवान राम को सीता जी की प्राप्ति, कश्यप जी के द्वारा हमारे वेद पुराणों का अध्ययन अध्यापन प्रारंभ हुआ, आपने ही गुरुकुल शिक्षा की प्रणाली को प्रारंभ किया, सप्त ऋषि में एक है ऋषि अत्रि जो की माता अनुसूया के पति हैं, जिन्होंने भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश को शिशु बना दिया था और अत्रि ऋषि के द्वारा ही महान मंदाकिनी और गोदावरी नदी का अवतरण हुआ है जिन्होंने चित्रकूट से प्रयाग तक के तीर्थ यात्रा का गमन सरल बनाया, सप्त ऋषि में गौतम ऋषि के द्वारा कृषि का उत्थान किया गया आज हम जिस वैज्ञानिक पद्धति से कृषि कर रहे हैं वह गौतम जी द्वारा प्रदत है,जमदग्नि ऋषि द्वारा गौ रक्षा करने हेतु अपने प्राणों को तक त्याग दिया गया, ऐसे ही महान ऋषि है भारद्वाज जिन्होंने श्री राम जी का स्वागत किया था इस प्रकार से बहुत सी कथाएं सप्तर्षियों कि हमें वेद पुराणों से मिलती है।
         रोहित जंघेल ने जिज्ञासा रखी कि हमें जीवन में कितने बार गुरुदीक्षा लेना चाहिए बाबा जी ने बताया कि जब हमारा शरीर जीवन मे, एक ही बार जन्म लेता है तो दीक्षा भी हमें जीवन में एक ही बार लेनी चाहिए
     तिलकराम मरकाम ने जिज्ञासा रखि.कि यदि गुरु देह त्याग दे तो हमें क्या दूसरा गुरु बना लेना चाहिए तब बाबा जी ने बताया कि गुरु भले ही अपना शरीर त्याग देते हैं परंतु उनका ज्ञान हमेशा ही हमारे साथ रहता है इसलिए कभी भी अज्ञानी ना बने अपने विवेक का उपयोग करते हुए अपने गुरु के ज्ञान को ही ग्रहण करें
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ।
To Top