CG : अपने मुखारविंद से सुमित साहू ने परोसने का प्रयास किया संस्कृत के श्लोक...

CG : अपने मुखारविंद से सुमित साहू ने परोसने का प्रयास किया संस्कृत के श्लोक...

@छत्तीसगढ़//कमल चंद साहू।। 
सुमित कुमार साहू ग्राम घिवरा भरत देवांगन स्कूल खरोरा में आयोजित  कार्यक्रम में लिया हिस्सा और संस्कृत श्लोक एवं अर्थों के साथ अतिथियों  एवं भरत देवांगन स्कूल के प्राचार्य उप प्राचार्य एवं पूरे स्टाफ एवं सभी छात्र-छात्राओं के उपस्थिति में किया श्लोकों का वाचन

संस्कृत श्लोक — 

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

अर्थ — 
व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य होता है। व्यक्ति का परिश्रम ही उसका सच्चा मित्र होता है। क्योंकि जब भी मनुष्य परिश्रम करता है तो वह दुखी नहीं होता है और हमेशा खुश ही रहता है।

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।

अर्थ — 
व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं। सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।

मनुष्य जीवन में वाक शक्ति या वाणी की उपस्थिति कितना क्रांतिकारी परिवर्तन ला देती है, यह बात मानवेतर प्राणियों के साथ शक्ति, संभावना और उपलब्धि की तुलना करते हुए सरलता से समझ में आ जाती है. ध्वनियां और उनसे बने अक्षर तथा शब्द भौतिक जगत में विलक्षण महत्व रखते हैं।
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